samvidhan kise kahte hain | संविधान किसे कहते हैं: अर्थ और परिभाषा | संविधान क्या होता है ? What is Constitution : meaning and 10 definitions

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What is Constitution : संविधान के विषय में आगे कुछ बात करने के पूर्व संविधान का अर्थ और परिभाषा (संविधान क्या है) जान लेना परमावश्यक है। यहाँ हम संविधान का व्यवहारिक, व सैद्धांतिक अर्थों को जानने के साथ साथ अनेक विद्वानों द्वारा दी गयी परिभाषाओ का अध्ययन करेंगे।

संविधान किसे कहते हैं | संविधान का अर्थ और परिभाषा

प्रत्येक राज्य को अपने को परिचालित करने के लिए एक पद्धति या व्यवस्था की आवश्यकता होती है जिस पर यह अपनी सरकार को आधारित करता है। इस व्यवस्था के अभाव में राज्य महज एक अराजक इकाई बनकर रह जाएगा। राजनीति विज्ञान की शब्दावली में इसी व्यवस्था का संविधान (Constitution) कहते हैं।

संविधान के द्वारा ही किसी देश की शासन व्यवस्था संचालित होती है। दूसरे शब्दों में संविधान के द्वारा ही किसी देश अथवा संस्था की शासन व्यवस्था नियंत्रण व निर्धारित होती है।

संविधान क्या है ? | What is Constitution

जब किसी देश या राष्ट्र का गठन अथवा पुनर्गठन होता है तो उसका शासन किस प्रकार चलाया जाए अर्थात देश की शासन व्यवस्था कैसी हो? सरकार का गठन कैसे हो? शक्तियों का वितरण कैसे हो? न्यायिक व्यवस्था कैसी हो आदि बातें उस राष्ट्र अथवा देश के मुख्य नेताओं का मुख्य प्रश्न होता है।

फिर अलग अलग व्यवस्था द्वारा उस देश अथवा संस्था को चलाये जाने के लिए नियम व सिद्धांत बनाये जाते हैं। वही नियम व सिद्धांतों को यदि लिपिबद्ध कर दिया जाय तो वह संविधान कहलाता है।

भारतीय संविधान की पोस्ट्स

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संविधान का अर्थ और परिभाषा : What is Constitution

संविधान शब्द हिंदी के दो शब्दों सम् और विधान से मिलकर बना है। (संविधान=सम्+विधान) 

इसमें सम् का अर्थ बराबर या समान होता है और विधान का अर्थ नियम या कानून होता है। इस प्रकार सम्मिलित रूप में यदि अर्थ को समझने का प्रयास करें तो संविधान ऐसे नियमों का संग्रह है जो सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होता है।

हालांकि संविधान शब्द का प्रयोग संकुचित और व्यापक दोनों अर्थों या सदर्भों में किया जाता है।

संकुचित अर्थ में संविधान का आशय राज्य की उस नियमावली से होता है जो एक या अनेक प्रपत्रों में लिखित होती है।

व्यापक अर्थ में इसका प्रयोग किसी देश को शासन पद्धति का स्वरूप बताने के लिए किया जाता है।

संविधान का अर्थ : samvidhan kise kahte hain

What is constitution in hindi
samvidhan kise kahte hain

संविधान का अर्थ बहुत ही सरल व स्पष्ट है। किसी देश अथवा संस्था की शासन व्यवस्था, न्याय व्यवस्था, सरकार व्यवस्था आदि समस्त व्यवस्थाएं जिस लिखित अथवा अलिखित दस्तावेज से निर्मित, निर्धारित व संचालित होती है उसे ही उस देश का संविधान कहते है।

दूसरे शब्दों में संविधान वह नियमों का संग्रह है जिसके अनुसार शासक की शक्तियां, शासितों के अधिकार तथा शासक और शासित के मध्य संबंध समायोजित होते हैं।

संविधान की परिभाषाएं : संविधान किसे कहते हैं

संविधान (Constitution) का शाब्दिक, संकुचित व व्यापक अर्थ जान लेने के बाद संविधान की परिभाषाओं को जान लेना चाहिए।

परिभाषा (1)- संविधान किसी देश के उन नियमों का सुनिश्चित संग्रह है जिनके आधार पर उस देश का सम्पूर्ण शासन तंत्र संचालित होता है।

परिभाषा (2)- किसी भी देश का संविधान उस देश की राजनीतिक व्यवस्था, न्याय व्यवस्था, तथा शासक के अधिकारों व नागरिकों के हितों की रक्षा करने का मुख्य माध्यम होता है। जिसके द्वारा उस देश के विकास की दिशा निर्धारित होती है।

परिभाषा (3)- अरस्तु के शब्दों मे, ” किसी देश का संविधान उस पद्धति का प्रतीक होता है जो उस देश या राज्य द्वारा अपने लिए अपनाई जाती है।

परिभाषा (4)- जेलिनेक के शब्दों में “संविधान विहीन राज्य की परिकल्पना नहीं की जा सकती। संविधान के अभाव में राज्य, राज्य न होकर एक प्रकार की अराजकता होगी।”

परिभाषा (5)- संविधान लिखित नियमों का एक ऐसा ग्रन्थ या किताब है जिसे किसी क्षेत्र में रहने वाले लोगों के (जिन्हें नागरिक कहा जाता है) बीच के आपसी संबन्ध तय होने के साथ -साथ लोगों और सरकार के बीच के सम्बन्ध भी तय होते है।

परिभाषा (6)- गिलक्राइस्ट के शब्दो में  ” संविधान उन समस्त लिखित और अलिखित विधियों और नियमों का संग्रह है जिनके आधार पर किसी देश की शासन व्यवस्था संगठित की जाती है, शासन के विभिन्न अंगों के बीच शक्तियों का विभाजन किया जाता है और उन सिद्धांतों का निर्धारण किया जाता है जिन पर उन शक्तियों का प्रयोग किया जाएगा।”

परिभाषा (7)- वुल्से के शब्दों मे ” संविधान उन सिद्धांतों का संग्रह है, जिसके अनुसार सरकार की शक्तियों और शासितों के अधिकारों तथा दोनो के बीच संबंधों का समन्वय किया जाता है।”

परिभाषा (8)- ब्राइस के अनुसार,” संविधान ऐसे निश्चित नियमों का संकलन है जिसमें सरकार की कार्यविधि प्रतिपादित होती है और जिनके द्वारा उसका संचालन होता है।

परिभाषा (9)- संविधान एक नियमों का संग्रह है जिसके अनुसार किसी देश का शासन तंत्र संचालित व समन्वयित होता है।

परिभाषा (10)- संविधान वह कानून होता है जो किसी राज्य की शासन प्रणाली को विवेचित करता है। ये देश के सर्वोच्च, सर्वमहत्वपूर्ण अभिलेख होते हैं।

संविधान की परिभाषाओं के आधार पर सहज ही यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि संविधान का आशय लिखित अथवा नियमों के उस समूह से है जो किसी राज्य संगठन के स्वरूप, सरकार के विभिन्न अंगां की सरंचना और उनके अधिकार क्षेत्र, सरकार के विभिन्न अंगो के पारस्परिक संबंध तथा राज्य एवं व्यक्ति के मध्य संबंधों की चर्चा करता है।

लिखित संविधान क्या है?

जैसा की स्पष्ट है कि वे संविधान जिसके अधिकांश या पूर्ण अंश एक या एक से अधिक लेख पत्रों में लिपिबद्ध होते हैं उन्हें लिखित संविधान कहते हैं।

दूसरे शब्दों में कहें तो, 

उन संविधानों को लिखित संविधान कहा जाता है जिनकी रचना निश्चित समय पर एक निश्चित इकाई द्वारा की गई होती है। एक विस्तृत प्रपत्र के रूप में अधिकतम संभावित व्याख्या सहित इनका निर्माण किया जाता है। सभी निर्मित संविधान लिखित होते हैं।

इस प्रकार के संविधानों में शासन की समस्त संस्थाओं के गठन तथा उनकी कार्य-प्रक्रिया का विस्तृत उल्लेख होता है। संविधान की संशोधन प्रक्रिया का भी इनमें उल्लेख होता है। भारत तथा संयुक्त राज्य अमरीका के संविधान समेत अन्य कई संविधान इसके उदाहरण हैं।

अलिखित संविधान:-

अलिखित संविधान वे होते हैं जो किसी प्रपत्र पर लिखे न गए हों अर्थात वह संविधान लिखित रूप में मौजूद न हो।

अलिखित संविधान उन संविधानों को कहते हैं जो बिल्कुल भी लिखे ही न गए हों अथवा लिखे भी गए हों तो थोड़ा बहुत।

दूसरे शब्दों में

अलिखित संविधान उन संविधानों को कहते हैं जो या तो पूर्ण रूप से अथवा अधिकांश रूप में अलिखित होते हैं और जिनमें प्रथाओं, परंपराओं तथा न्यायिक निर्णयों का अनुपात लिखित वैधानिक नियमों से अधिक होता है।

शासन की संस्थाओं तथा उनकी कार्य प्रक्रिया का आधार एक दीर्घ समयकाल के दौरान विकसित प्रथाएं और परंपराएं होती हैं।

एकमात्र ब्रिटेन का संविधान इस प्रकार के संविधान का उदाहरण है।

संविधान के उपरोक्त बिंदुओं पर चर्चा के उपरांत हमें यह समझना चाहिए कि क्या संविधान आवश्यक है भी या नहीं? और आवश्यक है तो कितना?

संविधान की आवश्यकता क्या है?

संविधान की आवश्यकता निम्नांकित कारणों से है।

1- यह साथ रह रहे लोगों के बीच जरूरी भरोसा और सहयोग विकसित करता है और सरकार और नागरिकों के आपसी सम्बन्धों को निर्धारित करता है।

2-संविधान यह स्पष्ट करता है कि सरकार का गठन कैसे होगा और किसे फैसले लेने का अधिकार है।

3-संविधान सरकार के अधिकारों की सीमा तय करता है और हमें बताता है कि नागरिकों के क्या अधिकार है

4-संविधान ही सरकार की शक्ति तथा सत्ता का स्रोत है।

5-संविधान अच्छे समाज के गठन के लिए लोगों की आकांक्षाओं को व्यक्त करता है।

निष्कर्ष : संविधान क्या है

इस प्रकार हम यह देखते हैं कि प्रत्येक राज्य को अपने को परिचालित करने के लिए एक पद्धति या व्यवस्था की आवश्यकता पड़ती है जिस पर यह अपनी सरकार को आधारित करता है।

इन व्यवस्था के अभाव में राज्य महज एक अराजक इकाई बनकर रह जाता है। राजनीति विज्ञान की शब्दावली में इसी व्यवस्था को संविधान(Constitution) कहते हैं। जो संविधान लिखा हुआ हो लिखित संविधान तथा जो न पूरा न लिखा गया हो या अंशतः लिखा गया हो अलिखित संविधान कहलाता है।

यह महत्वपूर्ण पोस्ट आपको किसी लगी comment में जरूर बताएं। 

धन्यवाद🙏 

आकाश प्रजापति

(कृष्णा) 

ग्राम व पोस्ट किलाहनापुर, कुण्डा प्रतापगढ़

छात्र:  राजनीति शास्त्र विभाग, कलास्नातक द्वितीय वर्ष, इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय 

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