Samvidhan kitne prakar ke hote hain | संविधान कितने प्रकार के होते हैं | Classification of constitutions in Hindi

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Samvidhan kitne prakar ke hote hain : संविधान मूल सिद्धांतों या स्थापित नजीरो का एक समुच्चय है जिसमें कोई राज्य या अन्य संगठन अभिशासित होते हैं। यह किसी संस्था को प्रचलित करने के लिए बनाया हुआ एक दस्तावेज है। यह प्रायः लिखित रूप में होता है। यह वह विधि है जो किसी राष्ट्र के शासन का आधार है, उसके चरित्र, संगठन आदि को निर्धारित करती है तथा उसके प्रयोग विधि को बताती है।

Samvidhan kitne prakar ke hote hain
Classification of constitutions in Hindi

नोट:- जैसा कि पिछली पोस्ट में बताया जा चुका है कि संविधान किसे कहते हैं? तथा इस पोस्ट में संविधान के प्रकार के बारे में अथवा संविधान के वर्गीकरण के बारे में बताया जाएगा। इसको पढ़ने के उपरांत मैं चाहूंगा कि संविधान किसे कहते हैं आप इसको जरूर जाने तभी यह पूर्ण रूप से स्पष्ट हो पाएगा।  इसके लिए आपको नीचे दिए गए लिंक से पिछली पोस्ट को पढ़ना पड़ेगा। जरूर पढ़ें।

आइए जानते हैं संविधान कितने प्रकार का होता है? | types of constitution in Hindi

संविधान कई प्रकार के होते हैं दूसरे शब्दों में संविधान का वर्गीकरण कई आधार पर किया जा सकता है आइए देखते हैं संविधान का वर्गीकरण क्या होता है?

संविधान का वर्गीकरण ? | संविधान कितने प्रकार के होते हैं

संविधान का वर्गीकरण हम निम्न पांच आधारों पर कर सकते हैं—
1. संकलन के आधार पर
(i) लिखित संविधान (ii)अलिखित संविधान
2. संवैधानिक संशोधन की प्रकृति के आधार पर
(i) नम्य अथवा लचीला संविधान (ii)अनम्य अथवा कठोर संविधान
3. प्रकृति के आधार पर
(i) परिसंघीय संविधान (ii)एकात्मक संविधान
4. संविधान की उत्पत्ति के आधार पर
(i) विकसित संविधान (ii) निर्मित संविधान
5. आकार के आधार पर
(i) लघु संविधान (ii) दीर्घ संविधान

आइए उपरोक्त आधारों पर संविधान का वर्गीकरण विस्तार से समझते हैं— संविधान कितने प्रकार के होते हैं

1. संकलन के आधार पर संविधान का वर्गीकरण :

संकलन के आधार पर संविधान का वर्गीकरण दो भागों में किया जा सकता है- पहला लिखित संविधान तथा दूसरा अलिखित संविधान। 
संकलन के आधार पर का तात्पर्य यह है कि संपूर्ण संविधान किस प्रकार से व्यवस्थित है। या तो वह लिखित रूप में होगा अथवा वहां लिखित रूप में ही होगा।

(i) लिखित संविधान:-

सारांशत: यदि लिखित संविधान को व्याख्यायित करें तो वह संविधान जो अधिकांश का अथवा पूर्ण रूप से लिखा गया हो तथा लिखित रूप में विद्यमान हो उसे लिखित संविधान कहते हैं। लिखित संविधान उसे कहते हैं जो किसी देश की व्यवस्था को अच्छे और नियमित रूप से संचालित करने के लिए लिखा गया नियमों व कानूनों का संग्रह होता है।
यह सर्वोत्कृष्ट प्रकार का संविधान है। इस प्रकार के संविधान में सारे प्रावधान लिखे होते हैं जो कि राष्ट्र के सबसे महत्वपूर्ण अभिलेख होते हैं।
उदाहरण: इस प्रकार का संविधान भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, रूस, इटली, जापान, चीन इत्यादि देशों का संविधान है।
नोट:- अमेरिका का संविधान विश्व का प्रथम लिखित संविधान है।
वास्तव में ब्रिटेन के संविधान को छोड़कर सभी देश का संविधान लिखित संविधान है।

(ii) अलिखित संविधान:-

अलिखित संविधान का अर्थ यह नहीं है कि इस प्रकार का संविधान पूर्णता अलिखित अथवा मौखिक रहता है। वास्तव में यह संविधान अंततः लिखित संविधान होता है जिसे अलिखित संविधान की संज्ञा दी जाती है। इस प्रकार के संविधान किसी एक समय विशेष के समय न लिखे जा कर वरन काफी लंबे समय में धीरे-धीरे अलग-अलग प्रावधानों से विकसित होते हैं। इसमें परंपराओं प्रथाओं आदि का अहम योगदान रहता है।
उदाहरण:- संपूर्ण विश्व में केवल ब्रिटेन का एक ऐसा संविधान है जो अलिखित संविधान के अंतर्गत आता है।

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2. संवैधानिक संशोधन की प्रकृति के आधार पर संविधान का वर्गीकरण :

संविधान संशोधन की प्रकृति के आधार पर भी संविधान दो रूपों में विभाजित किया जा सकता है।
(i) नम्य अथवा लचीला संविधान  (ii) कठोर संविधान 
संवैधानिक संशोधन की प्रकृति के आधार का तात्पर्य यह है कि उसे संविधान में संशोधन किस प्रकार होता है। यदि उस संविधान में संशोधन करना आसान है तो वह लचीला संविधान के अंतर्गत आता है तथा यदि उस संविधान में संशोधन करना कठिन है तो वह कठोर संविधान कहलाता है।

(i) नम्य अथवा लचीला संविधान:-

यदि किसी संविधान में साधारण कानून और संवैधानिक कानून समान हों , और संवैधानिक कानून में भी संशोधन उसी प्रकार किया जा सकता है जैसे साधारण कानून का निर्माण होता है तो ऐसा संविधान है लचीला, नरम अथवा परिवर्तनशील संविधान कहलाता है।
गार्नर के शब्दों में लचीला संविधान वह है जिसको साधारण कानून से अधिक शक्ति एवं सत्ता प्राप्त ना हो और जो साधारण कानून की भांति बदला जा सकता है, चाहे वह एक प्रलेख या अधिकांशत परम्पराओं के रूप में हो।”
उदाहरण:- इंग्लैंड , चीन तथा इजरायल आदि देशों के संविधान लचीला अथवा परिवर्तनशील संविधान के उदाहरण है।

(ii) कठोर संविधान अथवा दुष्परिवर्तनशील संविधान:-

इस प्रकार के संविधान मैं संशोधन साधारण कानून निर्माण की प्रक्रिया से भिंन्न तरीके से होता है। ऐसा संविधान जिसमें संशोधन के लिए किसी विशेष प्रक्रिया की आवश्यकता पड़ती है कठोर संविधान कहलाता है। इस प्रकार के संविधान में साधारण कानून और संवैधानिक कानून में मौलिक अंतर होते हैं। इस प्रकार के संविधान में जिस प्रकार साधारण कानून बनाया जाता है उससे भिंन्न और कठिन प्रक्रिया द्वारा संविधान का संशोधन अथवा परिवर्तन होता है।
उदाहरण:- स्वीटजरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, रूस, इटली, अमेरिका, फ्रांस, डेनमार्क, नॉर्वे, जापान, आदि देश के संविधान में कठोर संविधान है।
नोट:- भारत का संविधान ना तो कठोर संविधान है और न ही लचीला संविधान है। यह अलग-अलग समय अलग-अलग परिस्थितियों में अलग-अलग रूप में प्रकट होता है।

3. प्रकृति के आधार पर : Classification of constitutions in Hindi

प्रकृति के आधार पर  संविधानों को निम्न भागों में बांटा जा सकता है
(i) परिसंघीय संविधान (ii)एकात्मक संविधान
प्रकृति के आधार पर विभाजन का तात्पर्य यह है कि संविधान किस प्रकृति का है। अर्थात संविधान की प्रावधान संगीत स्वरूप को ग्रहण किए हैं कि एकात्मकता से परिपूर्ण है।

(i) परिसंघीय अथवा संघात्मक संविधान:-

इस प्रकार के संविधान में राज्य की समस्त शक्तियां केंद्र व राज्यों के बीच परस्पर स्पष्ट रूप से विभाजित होती है। इसमें राज्य और केंद्र के अलग-अलग अधिकार और कार्यप्रणाली होती है। अतः इस प्रकार के संविधान में 2 स्तरों की सरकार होती है जैसे केंद्र सरकार और राज्य सरकार। किसी किसी देश में इस प्रकार के संविधान में दोहरी नागरिकता का प्रावधान किया गया है जैसे अमेरिका के संविधान में।
उदाहरण:- अमेरिका, कनाडा, भारत जैसे देशों में संघीय
संविधान है।

(ii)एकात्मक संविधान:-

 इस प्रकार के संविधान में राज्य की समस्त शक्तियां अथवा अधिकांश शक्तियां केंद्र के हाथ में एकीकृत होती हैं। एकात्मक संविधान में शासन एक ही स्तर में होता है तथा केंद्र में सारी शक्तियां केंद्रीकृत होती है। इस प्रकार के संविधान में इकहरी नागरिकता का प्रावधान होता है।
उदाहरण:- जापान, चीन, इंग्लैंड इत्यादि देशों में एकात्मक संविधान है।

4. संविधान की उत्पत्ति के आधार पर – Samvidhan kitne prakar ke hote hain

संविधान की उत्पत्ति के आधार पर संविधानों को दो भागों में रखा जा सकता है (i) विकसित संविधान (ii) निर्मित संविधान
सविधान की उत्पत्ति का तात्पर्य यह है कि संविधान कब उत्पन्न हुआ अथवा कैसे उत्पन्न हुआ।

(i) विकसित संविधान:-

विकसित संविधान वे हैं, जिनका निर्माण संविधान-सभा जैसी किसी संस्था द्वारा निश्चित समय पर नहीं किया जाता वरन् ये संविधान विभिन्न परम्पराओ रीति-रिवाजों, प्रधाओं और न्यायालयों के निर्णय पर आधारित होता है।  इस प्रकार के संविधान का निर्माण नहीं किया जाता वरन ये धीरे-धीरे काफी लंबे समय में स्वत: है रीति रिवाजों परंपराओं तथा न्यायालय के निर्णय के अनुरूप निर्मित होता रहता है। इंग्लैंड का संविधान विकसित संविधान का एक श्रेष्ठ उदाहरण है।

(ii) निर्मित संविधान:-

जैसा कि शब्द से ही स्पष्ट है कि इस प्रकार का संविधान निर्मित किया जाता है। अर्थात निर्मित ऐसा संविधान होता है जिसका एक निश्चित समय पर संविधान सभा जैसे किसी संस्था या कुछ निश्चित व्यक्तियों अथवा व्यक्तियों के समूह द्वारा निश्चित नियमों के अनुरूप निर्माण किया जाता है अथवा लेखन किया जाता है।  यह संविधान असाधारण रूप से लिखित संविधान होता है तथा अपेक्षाकृत कठोर भी।
उदाहरण:- अमेरिका, स्वीटजरलैंड, चीन, भारत आदि देशों का संविधान निर्मित संविधान है।
अमेरिका का संविधान विश्व का प्रथम निर्मित संविधान है।

5. आकार के आधार पर : संविधान का वर्गीकरण

आकार के आधार पर संविधान का बंटवारा निम्न रूप में किया जा सकता है-
(i) लघु संविधान (ii) दीर्घ संविधान
आकार के आधार पर का तात्पर्य यह है कि संविधान का आकार कैसा है अथवा किस रूप में है।

(i) लघु संविधान:-

लघु संविधान वे संविधान होते हैं जो आकार में छोटे होते हैं। दूसरे शब्दों में वह संविधान जो आकार की दृष्टि से अपेक्षाकृत छोटा हो लघु संविधान के अंतर्गत आता है। इस प्रकार की संविधान में अनुच्छेदों की संख्या अथवा प्रावधानों की संख्या कम होती है जिस कारण यह छोटा होता है।
उदाहरण:- अमेरिका, सऊदी अरब आदि देशों का संविधान इस प्रकार के संविधान के उदाहरण है।
अमेरिका के संविधान में 4000 शब्द हैं जो कि 10 या 12 पेजों में लिखा गया है। इसे आधा घंटे में स्पष्टतया पढ़ा जा सकता है।
स्विट्जरलैंड के संविधान में 123 अनुच्छेद हैं जो कि 3 भागों में विभाजित है।
चीन के संविधान में एक प्रस्तावना तथा 138 अनुच्छेद है जो कि 4 भागों में विभाजित है।

(ii) दीर्घ संविधान:-

 दीर्घ संविधान का तात्पर्य यह है कि या संविधान आकार की दृष्टि से काफी बड़ा अथवा विस्तृत संविधान होता है। इस प्रकार के संविधान में अनुच्छेदों की संख्या बहुत अधिक होती है तथा यह बहुत अधिक स्पष्ट होता है।
उदाहरण:- भारत का संविधान इस प्रकार के संविधान का प्रबल उदाहरण है।
भारतीय मूल संविधान में 395 अनुच्छेद, 22 भाग तथा 8 अनुसूचियां थी। जो कि वर्तमान में इसमें कुल 470 अनुच्छेद (25 भागों में विभाजित) और 12 अनुसूचियां हैं।
भारत का संविधान विश्व में सबसे बड़ा तथा विस्तृत संविधान है।

निष्कर्ष : Classification of constitutions in Hindi

इस प्रकार हम देख सकते हैं कि संविधान का वर्गीकरण किस प्रकार और किस रूप में किया जा सकता है। हम देखते हैं कि संविधान को विभाजित करने के लिए किसी आधार की आवश्यकता होती है और संविधान को हम कुछ आधारों के अंतर्गत विभाजित कर सकते हैं जिनमें इस पोस्ट में पांच आधार के बारे में बताया गया है। प्रत्येक आधार में संविधान को दो भागों में विभाजित किया गया है।
धन्यवाद🙏 
आकाश प्रजापति
(कृष्णा) 
ग्राम व पोस्ट किलाहनापुर, कुण्डा प्रतापगढ़
छात्र:  राजनीति शास्त्र विभाग, कलास्नातक द्वितीय वर्ष, इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय

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