Bharat ke prachin naam : क्षेत्रफल की दृष्टि से 7वां तथा जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा देश के रूप में जाने जाने वाले भारतवर्ष को आज हम ‘भारत’ तथा ‘India’ के नाम से जानते हैं। किंतु क्या आज से हजारों वर्ष पूर्व भी यह इन्ही नामों से जाना जाता था ? , यह एक विचारणीय विषय है।
भारत के प्राचीन नाम :
आज के इस लेख के माध्यम से हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि जिस महान देश को आज हम भारत कहते हैं उसे अति प्राचीन काल में किन नामों से अथवा किन-किन नामों से जाना जाता था। साथ ही यह भी जानने का प्रयास करेंगे कि उन नामों के रूप में जाने जाने के पीछे कौन से महत्वपूर्ण कारण रहे हैं।
भारत के नामकरण का इतिहास : Bharat ke prachin naam
उत्तर में हिमालय से दक्षिण में कन्याकुमारी तक फैले इस भारतीय प्रायद्वीप को भारतीय इतिहास के अलग अलग कालखण्ड में अलग अलग नामों से जाना गया। साथ ही इस भारत भूमि को कुछ विद्वानों ने अपने अपने ढंग से नाम देकर व्याख्यायित किया।
इन अलग अलग नामों के रूप में भारत वर्ष के जाने जाने के पीछे कुछ न कुछ महत्वपूर्ण कारण अवश्य थे। उन कारणों की व्याख्या के साथ इस देश के कुछ महत्वपूर्ण नामों के बारे में आईये जानने का प्रयास करते हैं।
1. भारत का प्राचीनतम नाम : ‘आर्यावर्त’
यदि बात करें भारत के प्राचीनतम नाम की तो भारत का प्राचीनतम नाम ‘आर्यावर्त’ था। हम जानते हैं कि भारत की सबसे प्राचीनतम सभ्यता हड़प्पा सभ्यता थी। तथा भारत की दूसरी सभ्यता के रूप में ‘वैदिक सभ्यता’ को श्रेय प्राप्त है।
इसी वैदिक सभ्यता को स्थापित करने का कार्य आर्यों ने किया था। सामान्यतः ऐसा माना जाता है कि लगभग 1500 ई० पू० के आस पास भारत की भूमि पर आर्यों का आगमन हुआ। 【आर्य मूलतः कहाँ के निवासी थे इसके विषय में हम विस्तार से चर्चा कर चुके हैं तथा निष्कर्ष भी बता चुके हैं जिसे आप यहां से जान सकते हैं।】
इन्ही आर्यों के भारत आगमन से और उनके द्वारा स्थापित भारत की एक अनुपम सभ्यता के कारण ही भारत को आर्यावर्त कहा जाता था।
● आर्य कौन थे? तथा कहाँ से आये थे?
बता दें कि उत्तर वैदिक काल तक आर्यों का विस्तार जहां तक था (लगभग पूरे उत्तर भारत में) उतने क्षेत्र को “आर्यावर्त” की संज्ञा दी जाती है।
2. भारत का प्राचीन नाम : भारतवर्ष
हम भली भांति जानते हैं कि 1000 ई०पू० से 600 ई०पू० तक के काल को उत्तर वैदिक काल के रूप में जाना जाता है। कुछ इस काल में तथा कुछ बाद के समय में अनेकों ग्रंथों की रचना की गई जिनमें पुराण , महाकाव्य , ब्राह्मण ग्रंथ आदि प्रमुख हैं। इन ग्रंथों से हमें भारत के एक अन्य प्राचीन नाम ‘भारतवर्ष’ की जानकारी मिलती है।
• पुराणों में मुख्यतः वायु पुराण व मत्स्य पुराण में इस नाम का उल्लेख मिलता है।
• वेदव्यास कृत महाभारत नामक महाकाव्य में भी हमें भारतवर्ष नाम का उल्लेख देखने को मिलता है।
• इसके अतिरिक्त पाणिनि के अष्टाध्यायी व अन्य ग्रंथों से भी हमें ‘भारतवर्ष’ नाम की जानकारी मिलती है।
• अभिलेखों में भारतवर्ष सबसे प्रथम बार खारवेल के हाथीगुंफा अभिलेख में उल्लेखित किया गया है। इसमें प्राकृत भाषा मे ‘भरधवस’ लिखा गया है।
भारतवर्ष नाम क्यों पड़ा :
अब बात आती है कि आखिर वर्तमान भारत देश का नाम प्राचीन समय में ‘भारतवर्ष’ कैसे पड़ा था। इस संबंध में मुख्यतः 2 मान्यताएं प्रचलित हैं–
पहली हिन्दू मान्यता –
प्राचीन समय में भारत भूमि पर पौरव वंश के ‘राजा भरत’ शासन करते थे। भरत राजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र थे। उनके वीरता के विषय में ऐसा उल्लेख मिलता है कि भरत बचपन में शेरों के मुँह फैलाकर उनके दांत गिनते थे और उनके साथ खेलते थे। यही भरत ने उत्तर से दक्षिण तथा पूर्व से पश्चिम तक सम्पूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप के क्षेत्र पर शासन किया। यही क्षेत्र प्राचीन काल में भारतवर्ष कहा गया तथा यहां रहने वाले लोग भारत की संतति कहे जाते थे।
दूसरी जैन मान्यता –
जैन मान्यता के अनुसार भारतीय उपमहाद्वीप के नाम “भारतवर्ष” भरत के नाम पर तो पड़ा किन्तु वे भरत दुष्यंत पुत्र भरत नहीं बल्कि ऋषभदेव पुत्र भरत थे।
हम जानते हैं कि जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए हैं जिनमें सबसे प्रथम तीर्थंकर व जैन धर्म के संस्थापक ऋषभदेव को माना जाता है। इन्हें ऋषभदेव के 2 पुत्र थे जिनमें बड़ा पुत्र भरत तथा छोटा पुत्र गोमतेश्वर/बाहुबली था । इसी ऋषभदेव के ज्येष्ठ पुत्र भरत के नाम पर ही भारत का नाम भारतवर्ष पड़ा।
3. भारत को प्राचीन काल में किन नामों से जाना जाता था : ‘अजनाभवर्ष और हेमवर्त’ –
पुराणों में भारत के प्राचीन नाम भारतवर्ष का उल्लेख तो मिलता है, साथ ही यह भी पता चलता है कि भरत राजा के पूर्व अर्थात भारतवर्ष के नाम से पूर्व भारत का नाम अजनाभवर्ष अथवा अजनाभखण्ड और हेमवर्तवर्ष हुआ करता था।
यह भारत का एक अति प्राचीन नाम हुआ करता था।
4. भारत के अन्य नाम : ‘जम्बूद्वीप’ –
विश्व के महान देशों में शामिल भारत को प्राचीन काल के एक समय में ‘जम्बूद्वीप’ के नाम से भी जाना जाता था।
भारत के इस ‘जम्बूद्वीप’ नाम हमें पुराणों में देखने को मिलता है। साथ ही भारत के ‘जम्बूद्वीप’ नाम हमें अशोक द्वारा स्थापित कराए गए अभिलेखों में भी मिलता है जोकि ब्राम्ही व खरोष्ठी लिपि में पूरे भारत के विभिन्न भागों में उत्कीर्ण कराए गए थे।
बौद्ध ग्रंथों में मौर्य वंश द्वारा शासित क्षेत्र को ‘जम्बूद्वीप’ कहा गया है। क्योंकि मौर्य शासक अशोक का शासन क्षेत्र संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप हुआ करता था अतः बौद्ध ग्रंथों में भी भारत का प्राचीन नाम ‘जंबूद्वीप’ कहा गया है।
यदि बात करें भारत के जम्बूद्वीप नाम पड़ने के कारण की तो ऐसा कहा जाता है की इस क्षेत्र में जम्बू (जामुन) के वृक्षों की अधिकता के कारण ही इस देश को जम्बूद्वीप नाम से उद्बोधित किया गया।
5. भारत के अन्य नाम : ‘हिंदुस्तान’
भारत प्राचीन काल में एक अन्य नाम से भी जाना जाता था। यह था ‘हिंदुस्तान’। भारत को हिंदुस्तान नाम ईरानियों/फारसियों ने दिया था। गौरतलब है कि भारत पर पहली बार आक्रमण करने का श्रेय ईरानियों को जाता है। उन्होंने छठी सदी ई०पू० में पश्चिमोत्तर भारत पर आक्रमण करने में सफलता प्राप्त की थी। उस समय भारत का भौगोलिक विस्तार पश्चिमोत्तर भारत की सिन्धु नदी तक हुआ करता था। अर्थात मध्य एशिया या ईरान की ओर से आने पर सिन्धु नदी ही भारत की सीमा होती थी। और ऐसा कहा जाता था कि सिन्धु के पूर्व की ओर का क्षेत्र भारत है।
चूँकि ईरानी भाषा में ‘स’ का उच्चारण ‘ह’ किया जाता था।अतः ईरानियों ने सिन्धु नदी को हिन्दू नदी नाम से संबोधित किया। चूंकि सिन्धु के पूर्व के क्षेत्र को उन्होंने सिन्धु का प्रदेश अथवा ‘सिन्धुस्तान’ कहना चाहते थे और वे सिन्धु को हिन्दू कहते थे अतः उन्होंने ‘सिन्धुस्तान’ को ‘हिंदुस्तान’ कहा।
6. भारत का प्राचीन नाम : ‘इण्डिया’ / India
प्राचीन काल में भारत को इंडिया नाम भी मिला था। भारत को ‘इंडिया’ नाम से उद्बोधित यूनानियों ने किया। अर्थात भारत को इण्डिया नाम देने का कार्य यूनानियों (Greeks) ने किया था।
भारत पर दूसरा विदेशी आक्रमण यूनानियों के द्वारा ही किया गया था। यह आक्रमण यूनानी शासक सिकंदर (जिसे सिकंदर महान भी कहा जाता है) के नेतृत्व में हुआ था।
बता दें कि यूनानी भाषा में ‘स’ का उच्चारण नहीं होता है। अतः उन्होंने सिन्धु (Sindhu) नदी को ‘इंदु’ (Indu) नदी कहकर संबोधित किया। इसी indu शब्द से सिन्धु नदी को उन्होंने (Indus) नाम दिया था तथा भारत को इसी INDUS के नाम पर ‘India’ नाम दिया। जोकि आज भी जाना जाता है।
7. प्राचीन भारत के नाम : यिन तू (Yin-Tu)
प्राचीन काल में भारत को एक अन्य नाम चीनियों द्वारा भी दिया गया। यह नाम था “यिन-तु” (Yin-Tu)। गौरतलब है कि चीनी यात्री ह्वेनसांग , जिसने ग्रंथ “सि-यू-की” की रचना की थी , हर्षवर्धन के शासन काल मे भारत आया था। उसने व अन्य चीनी यात्रियों ने भारत को उस समय “यिन-तु” कहकर संबोधित किया था।
बता दें कि एक अन्य चीनी विद्वान इत्सिंग ने भारत को “आर्य देश” कहा था।
8. भारत के अन्य नाम : ‘हिन्द’
भारत को मध्यकाल में एक अन्य नाम से पुकारा गया। यह ‘हिन्द’ नाम 13वीं 14वीं सदी के विद्वान अमीर खुसरो द्वारा दिया गया। हजरत निजामुद्दीन औलिया का शिष्य था तथा अलाउद्दीन खिलजी के दरबारी कवि अमीर खुसरो ने भारत को न केवल ‘हिन्द’ नाम से संबोधित किया बल्कि उसने हिन्द अर्थात भारत को “पृथ्वी का स्वर्ग” भी बताया।
9. भरतीय संविधान में स्वीकृत नाम : India और भारत
भारत को प्राचीन काल से अब तक हम अनेक नामों से जानते थे जिनमें से कुछ का वर्णन उपर्युक्त है। इन सभी नामों में से भारतीय संविधान द्वारा भारत के सिर्फ 2 नाम स्वीकार किये गए हैं और वो है “इण्डिया और भारत”।
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निष्कर्ष : Bharat ke prachin naam
इस प्रकार हम इस लेख के माध्यम से जाने की भारत को अति प्राचीन काल से लेकर वर्तमान काल तक अलग-अलग समय में किन-किन नामों से जाना गया तथा उन नामों से जाने जाने का मुख्य औचित्य (कारण) क्या थे ? भारत के नामकरण के इस लंबे इतिहास के दौरान नामों में परिवर्तन अवश्य आता गया किन्तु भारतीय संस्कृति व सभ्यता सदैव अपरिवर्तनीय रही। जिन जिन आक्रमणकारियों ने भारत में अथवा भारत पर आक्रमण किये वे सभी भारतीय होकर रह गए।
धन्यवाद🙏
आकाश प्रजापति
(कृष्णा)
ग्राम व पोस्ट किलहनापुर, कुण्डा प्रतापगढ़
छात्र: प्राचीन इतिहास कला संस्कृति व पुरातत्व विभाग, कलास्नातक तृतीय वर्ष, इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय
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