हम जानते हैं कि भारत पर पहला इस्लाम आक्रमण अरबों ने किया था। बेशक अरबों ने सिंध पर सफलता पाई थी किंतु वे एक राज्य स्थापित करने में पूरी तरह से असफल रहे। भारत पर आक्रमण करके राज्य स्थापित करने का श्रेय तुर्कों को जाता है।
महमूद गजनवी का भारत पर आक्रमण : Mahmud ghaznavi
महमूद गजनवी (Mahmud ghaznavi) एक तुर्क आक्रमणकारी था। उसने भारत में अनेकों अनेक बार आक्रमण किया और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उसे हर बार सफलता ही मिली। उसने अपने किसी भी आक्रमण में हार का सामना नहीं किया।
चूंकि तुर्क अभी अभी ही इस्लाम ग्रहण किये थे इस कारण उस समय वे अत्यधिक धर्मांध और कट्टरवादी थे । इनकी बुद्धि और व्यवहार का मुख्य आधार तलवार की शक्ति ही थी।
तुर्क कौन थे ?
वर्तमान तुर्की व उसके आसपास का क्षेत्र मध्यकाल में तुर्किस्तान नाम से जाना जाता था , और वहीं के निवासी भारतीय इतिहास में तुर्क कहे जाते हैं। उस समय तुर्क समझदार और सभ्य नहीं हुआ करते थे । वह बर्बर प्रकृति के सैनिक-योद्धा होते थे।
मंगोलों से उनके दूर के संबंध थे और उसी समय उन्होंने इस्लाम धर्म को अपनाया था, इस कारण वे अधिकांशत सभी मानवीय भावनाओं को भूलकर अत्यधिक क्रूर हो जाते थे।
इस प्रकार वे अत्यंत क्रूर, धर्मांध, खानाबदोश , असभ्य और घुड़सवार सैन्य प्रवृति के लोग थे।
गजनवी वंश अथवा यामीनी वंश :
गजनवी वंश ईरान के शासकों की एक शाखा थी। जिस समय अरबों ने ईरान होते हुए भारत पर आक्रमण किया था उस समय ये शासक वंश तुर्की भाग गए थे। वहां उन्होंने तुकों में इतने घुल मिल गए की उनके वंशज तुर्क कहलाए।
963 ई० में अलप्तगीन नामक व्यक्ति ने इस वंश की स्थापना की तथा अमीर अबू बक्र लाविक से जाबुलिस्तान तथा उसकी राजधानी गजनी को छीन लिया। उसी समय से गज़नी इस वंश की राजधानी के रूप में जाना जाने लगा।
अलप्तगीन की मृत्यु 963 ईसवी में ही हो गई। इसके बाद उसके पुत्र इस-हक ने केवल 3 वर्ष (963-66 ई०) तक शासन किया।
इस-हक़ का उत्तराधिकारी बलक्तगीन हुआ। इसकी मृत्यु 972 ई० में हो गयी अतः इसने 972 ई० तक शासन किया।
बलक्तगीन के बाद अलप्तगीन के एक गुलाम पीराई ने गद्दी पर अधिकार कर लिया तथा 977 ईसवी तक शासन करता रहा।
पीराई एक दुर्बल व अयोग्य शासक था फलतः 977 ईसवी में अलप्तगीन के गुलाम व दामाद सुबुक्तगीन ने गद्दी पर अपना अधिकार कर लिया।
सुबुक्तगीन ने ही अपने पड़ोसी हिंदूशाही राज्य पर आक्रमण करना आरंभ किया। प्रथम आक्रमण में उसने निकट के कई जिलों में नगरों को जीता।
➨ Note: भारत पहला तुर्क आक्रमण सुबुक्तगीन के नेतृत्व में हिन्दूशाही शासक जयपाल के विरुद्ध (पेशावर में) 997 ई० में हुआ।
इस प्रकार सुबुक्तगीन के समय से गजनी और हिंदूशाही राज्य का वह लंबा संघर्ष आरंभ हुआ जो सुल्तान महमूद गजनवी के समय तक चलता रहा और जिसका अंतिम परिणाम हिंदूशाही राज्य का नष्ट होना ही हुआ।
महमूद गजनवी : महमूद गज़नवी कौन था ?
सुबुक्तगीन ने 977 ईसवी से 997 ई० तक गज़नी पर शासन किया। सुबुक्तगीन के 2 पुत्र इस्माइल और महमूद थे।
28 वर्ष की आयु में महमूद गजनवी गज़नी राज्य का अगला शासक बना। शासक बनते ही उसने शपथ ली कि वह भारत पर प्रत्येक वर्ष आक्रमण करेगा। उसने लगभग ऐसा ही किया और भारत पर एक के बाद एक अनेकों आक्रमण किये।
महमूद गज़नवी के भारत पर आक्रमण के समय भारत की स्थिति :
हम भली भांति जानते हैं कि जब जब भारत पर आक्रमण हुआ तब तब निश्चय ही भारत की राजनीतिक स्थिति कमजोर थी और विशेषकर उत्तर-पश्चिम भारत की।
ठीक ऐसा ही महमूद गजनवी के समय भी था।
जिस समय तुर्कों ने भारत पर आक्रमण किया उस समय सिन्ध और मुल्तान मुसलमान शासित राज्य थे।
चिनाब नदी से लेकर हिंदुकुश पर्वत तक का क्षेत्र हिन्दूशाही राज्य था जिसका तत्कालीन शासक जयपाल था।
कश्मीर में भी ब्राम्हण वंश का शासन था। उसकी मालिक रानी दिद्दा हुआ करती थीं।
उस समय कन्नौज में प्रतिहारों का शासन था। किन्तु उस समय तक प्रतिहार सत्ता कमजोर पड़ने के कारण बुंदेलखंड के चंदेलों , मालवा के परमारों और गुजरात के चालुक्यों ने खुद को प्रतिहारों से मुक्त घोषित कर दिया था।
बंगाल में उस समय पाल वंश का शासन था।
वहीं दक्षिण भारत में परवर्ती चालुक्य और चोलों के शक्तिशाली राज्य थे।
उपरोक्त परिस्थिति के बावजूद जिस समय महमूद गजनवी उत्तर भारत को रौंद रौंद कर लूट रहा था , उस समय भी भारत के छोटे-बड़े राज्य आपसी संघर्ष में व्यस्त थे। उनमें न तो शक्ति की कमी थी न शौर्य और साहस की परंतु उन्होंने दूरदर्शिता से काम नहीं लिया और महमूद के विरुद्ध आपसी सहयोग की भावना व राष्ट्रवादी भावना नहीं थी।
इस प्रकार इस अनुकूल परिस्थिति में महमूद ने भारत के विभिन्न क्षेत्रों में 17 बार आक्रमण किया और अपार संपत्ति लूट कर अपने साथ ले गया।
महमूद गजनवी के द्वारा भारत पर किए गए आक्रमण :
भारत की उपरोक्त राजनीतिक परिस्थितियों को भलीभांति समझते हुए महमूद ने 11वीं सदी से भारत पर आक्रमण करना प्रारंभ किया। उसने प्रथम आक्रमण 1000 ई० में किया तथा अंतिम आक्रमण 1027 ई० में। इस बीच उसने भारत पर अनेकों अनेक आक्रमण किये तथा मंदिरों को लूटा व नष्ट किया , नगरों को लूटा व तबाह किया और अथाह संपत्ति प्राप्त किया।
महमूद गज़नवी के भारत पर आक्रमण के उद्देश्य | महमूद गज़नवी ने भारत पर आक्रमण क्यों किया ?
महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के उद्देश्यों के बारे में इतिहासकारों ने भिन्न-भिन्न मत व्यक्त किये हैं। उनके मतों का यदि समालोचनात्मक निष्कर्ष निकाला जाए तो उसके भारत पर आक्रमण के कुछ प्रमुख उद्देश्य निम्न थे–
1. धन लूटना
2. मूर्ति पूजा का पूरी तरह अन्त करना
3. इस्लाम धर्म का प्रसार व उसकी प्रतिष्ठा स्थापित करना
4. लुटे गए धन से साम्राज्य का विस्तार करना
इन उपरोक्त उद्देश्यों के साथ महमूद ने भारत पर आक्रमण किये।
किन्तु प्रश्न यह उठता है कि महमूद गजनवी ने भारत पर कितनी बार आक्रमण किये ?
महमूद गजनवी ने भारत पर कितने आक्रमण किये ?
महमूद गजनवी द्वारा किए गए भारत पर आक्रमणों की संख्या के विषय में विद्वानों में मतभेद है।
हेनरी इलियट ने बताया है कि महमूद गजनवी ने एक के बाद एक भारत पर 17 आक्रमण किये। अभी तक यही मान्यता अधिकांश विद्वानों द्वारा मान्य है।
इसके विपरीत कुछ इतिहासकारों का मानना है कि महमूद द्वारा किये गए 17 आक्रमणों के प्रमाण संदिग्ध हैं , फिर भी महमूद ने 12 आक्रमण तो अवश्य किये थे। हालांकि महमूद के 17 आक्रमणों की मान्यता अधिक प्रभावशाली है।
महमूद गजनवी के 17 आक्रमण :
महमूद गजनवी के 17 आक्रमणों की विस्तार से व्याख्या हम किसी अन्य अगले लेख में करेंगे यहां हम उन महत्वपूर्ण आक्रमणों के बारे में जानेंगे जो सभी परीक्षाओं के दृष्टिकोण से उपयोगी हैं।
➠ महमूद गजनवी भारत पर पहला आक्रमण 1000 ई० में किया। इसमें उसने सीमावर्ती कुछ किलों को जीता।
➠ महमूद गजनवी द्वारा किया गया दूसरा आक्रमण 1001 ई० में हिन्दूशाही राजा जयपाल के विरुद्ध हुआ। इसमें महमूद गजनवी विजयी हुआ।
【Note : जयपाल प्रथम शासक था जिसने सुबुक्तगीन द्वारा किये गए प्रथम तुर्क आक्रमण “997-98ई०” का सामना किया था।】
➠ महमूद द्वारा एक अन्य महत्वपूर्ण आक्रमण मुल्तान पर शिया सम्प्रदाय के शासक अब्दुल फतह दाऊद के खिलाफ हुआ। 1006 ई० में महमूद ने मुल्तान को जीत लिया।
➠ 1006 ई० में ही उसने हिमांचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थित नागरकोट मंदिर पर आक्रमण किया और उसे लूटा।
➠ 1008-09 ई० में महमूद गजनवी ने जयपाल के पुत्र आनंदपाल को हराया। इसी आक्रमण में वह आगे बढ़कर नारायनपुर नामक स्थान को जीता और लूटा।
➠ 1012-13 ई० में उसने मथुरा और उज्जैन के कई मंदिरों पर आक्रमण कर उन्हें नष्ट किया और विपुल संपदा हासिल की।
➠ 1014 ई० में महमूद गजनवी ने थानेश्वर , हरियाणा पर आक्रमण किया और थानेश्वर महादेव मंदिर को ध्वस्त किया और लूटा।
➠ 1019 ई० में महमूद गजनवी बुंदेलखंड के शासक विद्याधर (गण्ड) पर आक्रमण करने के उद्देश्य से भारत आया और सफलता प्राप्त की।
➠ 1024-25 ई० में महमूद द्वारा किया गया सबसे प्रसिद्ध आक्रमण सोमनाथ मंदिर (गुजरात) पर हुआ। यह उसके द्वारा किया गया 16वां आक्रमण था। उस समय गुजरात का शासक चालुक्य वंशी भीम प्रथम था।
उस समय काठियावाड़ स्थित सोमनाथ मंदिर में अपार धन संपदा , हीरे-जवाहरात व बहुत अधिक मात्रा में स्वर्ण संचित था।
उस समय सोमनाथ मंदिर का घंटा 200 मन की सोने की जंजीर से लटका हुआ था तथा मंदिर का द्वार (Gate) सवर्ण निर्मित था।
महमूद ने मंदिर को बुरी तरह लूटा , मंदिर का पूर्ण विनाश किया , शिवलिंग के टुकड़े टुकड़े कर के ले गया और गज़नी की जामा मस्जिद की सीढ़ियों में उसे लगवाया।
➠ जब महमूद सोमनाथ मंदिर की अगाध संपदा को लूटकर ले जा रहा था तभी जाटों के एक सैन्य दल ने उस पर आक्रमण किया और कुछ संपत्ति व सवर्ण निर्मित द्वार तुर्कों से छीन लिया। इसी से महमूद क्रुद्ध होकर 1027 ई० में जाटों को सजा देने के लिए अंतिम बार भारत आया और जाट समुदाय को पराजित कर गज़नी लौट गया।
यह उसके द्वारा किया गया 17वां आक्रमण था।
इस प्रकार हम देखते हैं कि महमूद गजनवी ने भारत पर विभिन्न आक्रमण किया। महमूद ने न केवल भारत की सदियों से संबंधित संपत्ति को रोकने में सफलता प्राप्त की वरन मुल्तान, अफगानिस्तान व पंजाब के प्रदेशों में गजनवी वंश के राज्य को स्थापित किया
■ 1030 ई० में महमूद गजनवी की मृत्यु हो गयी।
नोट :
1. महमूद गज़नवी पहला मुसलमान था जिसने सुल्तान और ग़ाज़ी की उपाधि धारण किया।
2. महमूद की अन्य उपाधियां ‘यमीन-उद्-दौला’ तथ ‘अमीन-उल-मिल्लाह’ थीं।
3. महमूद गज़नवी ने पहली बार ‘जिहाद’ का नारा दिया।
4. महमूद द्वारा 1006 ई० में नागरकोट मंदिर (हि०प्र०) पर किया गया आक्रमण मूर्तिवाद के विरुद्ध उसकी पहली महत्वपूर्ण जीत थी।
5. अपने पिता सुबुक्तगीन के शासनकाल में महमूद खुरासान का प्रांतीय शासक था।
6. भारतीय इतिहास में महमूद गजनवी को मूर्तिभंजक के रूप में भी जाना जाता है।
विद्वानों का संरक्षक महमूद :
महमूद गजनवी विद्वानों का कलाकारों का सम्मान करता था। उसने अपने समय के लगभग सभी महान विद्वानों को गजनी में संरक्षित किया था।
अलबरूनी , उत्बी , फराबी , बैहक़ी , फिरदौसी , उजारी , तूसी , उन्सुरी , अस्जदी व फर्रुखी आदि उसके दरबारी विद्वान व कलाकार थे।
निष्कर्ष :
इस प्रकार हम देख सकते हैं कि अरबों के बाद भारत पर दूसरा मुस्लिम आक्रमण महमूद गज़नवी के नेतृत्व में भारत पर हुआ। चूंकि महमूद तुर्क था इसलिए इसे प्रथम तुर्क आक्रमण भी कहा जाता है। महमूद के अनेक आक्रमणों का उद्देश्य मुख्यतः धन (स्वर्ण) लूटना था इसलिए उसने यहां के शासकों को पराजित तो किया किन्तु अपना कोई गवर्नर (सूबेदार) नियुक्त नहीं किया अतः उसने यहां साम्राज्य का निर्माण नहीं किया।
इसलिए भारतीय इतिहास महमूद गज़नवी को एक क्रूर , आक्रांता , मूर्तिभंजक , लुटेरा , मंदिर विध्वंसक व मुस्लिम (तुर्क) आक्रमणकारी के रूप में जानता है।
धन्यवाद🙏
आकाश प्रजापति
(कृष्णा)
ग्राम व पोस्ट किलहनापुर, कुण्डा प्रतापगढ़
छात्र: प्राचीन इतिहास कला संस्कृति व पुरातत्व विभाग, कलास्नातक तृतीय वर्ष, इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय
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