भारत की भौगोलिक विशेषताएँ : Geographical Features of India in hindi
भारतीय इतिहास पर भूगोल का व्यापक रूप से प्रभाव पड़ा है। भारतीय उपमहाद्वीप (पाकिस्तान और बँगलादेश-सहित) की विशालता एवं इसकी विविधता ने भिन्न-भिन्न भागों में भिन्न-भिन्न संस्कृतियों के उद्भव एवं विकास में मदद पहुँचाई है।
भारत उत्तर में हिमालय की पर्वतश्रेणियों से और अन्य तीन दिशाओं में समुद्रों से घिरा हुआ है। फलतः, उत्तर की ओर से या समुद्र की दिशा से भारत पर बाह्य आक्रमण नहीं हो सके। उत्तर-पश्चिमी सीमा पर खैबर और गोमल तथा बोलन दरों द्वारा मध्य एशिया जाने का मार्ग था। प्राचीन काल में इसी मार्ग से विदेशी आक्रमणकारी भारत आए और यहाँ के व्यापारी मध्य एशिया गए।
अरबों और यूरोपियनों के अतिरिक्त अन्य कोई भी जाति समुद्री मार्ग से भारत में प्रवेश नहीं कर सकी। समूचे भारत में नदियों और पर्वतों का जाल-सा बिछा हुआ है। संपूर्ण भारत को सुविधा के दृष्टिकोण से चार विभागों में रखा जा सकता है— उत्तर पर्वतीय प्रदेश, गंगा और सिंधु के मैदान, दक्षिणी पठार एवं समुद्र तटीय क्षेत्र। इस समूचे क्षेत्र में जलवायवीय एवं वानस्पतिक विभिन्नता देखी जा सकती है। प्राकृतिक सुविधाओं के कारण हिमालय की तराई, गंगा-यमुना दोआब और सिंधुघाटी आरंभिक सभ्यता के प्रमुख केंद्र बने। गंगा, यमुना, सिंधु, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी जैसी प्रमुख नदियों ने सभ्यता के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान किया।
भारत की प्राकृतिक संपदा, वन, ताँबा, टीन, लोहा, सोना, चाँदी, बहुमूल्य एवं अर्द्धबहुमूल्य पत्थर की सुगमता ने विभिन्न उद्योग-धंधों को बढ़ावा दिया। कच्चे माल को प्राप्त करने के लिए तथा निर्मित वस्तुओं के आदान-प्रदान के लिए व्यापार वाणिज्य का विकास हुआ।
देश में अनेक मार्ग प्राचीन काल से ही प्रचलित थे जिनके द्वारा योद्धा, व्यापारी और धर्मप्रचारक एक जगह से दूसरी जगह जाकर सभ्यता और संस्कृति का प्रसार करते थे तथा बस्तियाँ एवं राज्य स्थापित करते थे।
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आकाश प्रजापति
(कृष्णा)
ग्राम व पोस्ट किलहनापुर, कुण्डा प्रतापगढ़ , उ०प्र०
छात्र: प्राचीन इतिहास कला संस्कृति व पुरातत्व विभाग, कलास्नातक तृतीय वर्ष, इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय