हड़प्पा सभ्यता का धर्म | Hadappa sabhyta ka dharm | Harappan religion | 20+ important facts से समझें

0

हड़प्पा सभ्यता का धर्म (Hadappa sabhyta ka dharm ) एक वैज्ञानिकता पूर्ण धर्म था। हम कह सकते हैं कि हड़प्पाई धर्म ही भारतीय धार्मिक दर्शन का आधार बना। हम सभी जानते हैं कि हड़प्पा सभ्यता भारत की प्रथम नगरीय सभ्यता थी। अर्थात इस सभ्यता में वह सभी तत्व विद्यमान थे जो इस सभ्यता को नगरीय सभ्यता की श्रेणी में लाकर खड़ी कर देती हैं।

हड़प्पा सभ्यता का धर्म | Hadappa sabhyta ka dharm 

हड़प्पाई धर्म के स्रोत : Hadappa sabhyta ka dharm

अगर बात करें हड़प्पा सभ्यता के धर्म को जानने के साधनों या स्रोतों की तो इस सभ्यता से कोई भी लिखित साक्ष्य या साहित्यिक स्रोत नहीं प्राप्त हुए हैं। आभिलेखिक रूप में तो हड़प्पाई मुहरों से कुछ लेख अवश्य प्राप्त हुए हैं किंतु उन्हें अभी पढ़ा नहीं जा सका है। इस संस्कृति के उत्खनन से मिले पुरातात्विक साक्ष्यों से धर्म के सिर्फ क्रियापक्षों पर ही प्रकाश डाला जा सकता है,सैद्धांतिक पक्ष पर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती।

सिन्धु घाटी सभ्यता का धार्मिक जीवन :

➥ ऐसा अनुमान किया जाता है कि मोहनजोदड़ो के किलेबंद नगर एवं निचले नगर की कई बड़ी इमारतों को पूजा स्थल समझा जाता था क्योंकि अधिकतर पत्थर की मूर्तियाँ इन्हीं इमारतों से मिली हैं। किंतु मंदिर का कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं मिला है।

मोहनजोदड़ो के निचले नगर के एक बड़े स्मारक में एक पत्थर की मूर्ति मिली है जो समाधि की मुद्रा में बैठी है।

➥ विशाल स्नानागार का प्रयोग संभवतः धार्मिक अनुष्ठान एवं सूर्य पूजा में होता था।

विशाल स्नानागार के निकट की एक वृहद् इमारत को पुरोहित आवास माना गया है।

➥ हड़प्पाई लोग ईश्वर की पूजा मानव, पशु एवं वृक्ष तीनों। रूपों में करते थे।

➥ यहाँ से बड़ी संख्या में मातृदेवियों की विभिन्न मृण्मूर्तियाँ मिली हैं।

➥ देवियों की पूजा सौम्य एवं रौद्र दोनों रूपों में होती थी। बलूचिस्तान स्थित कुल्ली नामक स्थान की नारी मृणमूर्तियों में सौम्य रूप दिखता है जबकि की झौव संस्कृति से प्राप्त मूर्तियाँ रौद्र रूप में दिखती हैं।

➥ एक स्त्री के गर्भ से एक पौधा प्रस्फुटित होता दिखाया गया है जो संभवतः पृथ्वी पूजा का प्रमाण है।

➥ इसके अलावा, मोहनजोदड़ो से मिली एक मुहर में एक योगी का चित्र है। इसके तीन मुख और दो सींग हैं। इसके बायीं ओर बाघ एवं हाथी तथा दायीं ओर भैंस एवं गैंडा हैं। आसन के नीचे दो हिरण बैठे हुए हैं। मार्शल के अनुसार वे पशुपति शिव हैं।

➥ सिंधु सभ्यता में शिव की पूजा कीरात अर्थात् शिकारी, नागधारी, धनुर्धर एवं नर्तक के रूप में होती थी।

➥ लिंग पूजा का सर्वाधिक प्रमाण हड़प्पा में मिला है।

➥ देवी-देवताओं के साथ-साथ हड़प्पाई लोग पशुओं की भी पूजा करते थे। मुख्य रूप से कूबड़ वाले सांड की पूजा होती थी।

➥ पशु पूजा वास्तविक एवं काल्पनिक दोनों रूप में होती थी। मुहरों पर ऐसा काल्पनिक जानवर भी मिलता है जिसका अगला हिस्सा मानव जैसा तथा पिछला हिस्सा शेर जैसा दिखाई देता है।

➥ इसके अलावा वृक्ष पूजा के रूप में पीपल, नीम, बबूल की पूजा होती थी। साथ ही नाग पूजा का भी प्रचलन था।

सिंधु सभ्यता के धर्म में हमें प्रेतवाद एवं जादू-टोने का का भाव भी देखने को मिलता है। कुछ शवों के गले में प्राप्त ताबीजों के आधार पर इसका अनुमान लगाया जा सकता है।

➥ साथ ही वे भक्ति एवं पुनर्जन्म में भी विश्वास करते थे। किंतु इसका धार्मिक दृष्टिकोण इहलौकिक था।

➥ अंत्येष्टि के तीनों प्रकार प्रचलित थे- पूर्ण समाधिकरण, आंशिक समाधिकरण एवं दाह संस्कार ।

➥ सबसे अधिक पूर्ण समाधिकरण प्रचलित था। कालीबंगा में छोटी-छोटी गोलाकार कब्रें मिली हैं।

➥ लोथल में युग्म शवाधान का साक्ष्य मिला है जिसे सती प्रथा के प्रमाण के रूप में देखा जाता है।

➥ रोपड़ में एक कब्र में मालिक के साथ कुत्ते को दफनाए जाने का साक्ष्य मिला है।

➥ यहाँ टिन और तांबे को मिलाकर कांसा निर्माण की विधि ज्ञात थी। इसके अलावा मूर्तियों एवं बर्तनों की ढलाई, नाव बनाने की तकनीक, ग्रहों-नक्षत्रों का भी ज्ञान सिंधु सभ्यता के लोगों को था।

हड़प्पा सभ्यता का पतन लगभग 1900 से 1800 ई.पू. के मध्य हुआ। इसके अंतिम चरण में नगर नियोजन एवं नगर निर्माण में एक ह्रास की प्रवृत्ति देखी गई। जैसे- पतली विभाजक रेखा से घरों के आंगन का विभाजन कर दिया गया। विशाल स्नानागार एवं अन्नागार का उपयोग पूर्णतः समाप्त हो गया। मूर्तियों, मनकों आदि के निर्माण में कमी आई।

Related posts :

● हड़प्पा सभ्यता (एक दृष्टि में सम्पूर्ण)

● हड़प्पा सभ्यता की खोज कब व कैसे हुई ? (जानें पूरी कहानी)

● हड़प्पा सभ्यता का उद्भव/उत्पत्ति

● हड़प्पा सभ्यता का विस्तार

● हड़प्पा सभ्यता का नगर नियोजन (संक्षेप में सम्पूर्ण जानकारी)

● हड़प्पा सभ्यता की विशेषताएँ (विस्तृत जानकारी)

धन्यवाद🙏 
आकाश प्रजापति
(कृष्णा) 
ग्राम व पोस्ट किलहनापुर, कुण्डा प्रतापगढ़ , उ०प्र० 
छात्र:  प्राचीन इतिहास कला संस्कृति व पुरातत्व विभाग, कलास्नातक तृतीय वर्ष, इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय

Tag:

Harappan civilization, Harappan religion, Indus valley civilization religious life, REligion of harappan civilization in hindi, Hadappa sabhyta ka dharm, Hadappa sabhyta ka dharmik jivan

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)
To Top
close