What are historical Sources: हम सभी जानते हैं कि भारत का इतिहास हजारों लाखों वर्ष पुराना है। भारत का गरिमामयी , गौरवपूर्ण इतिहास पुरापाषाण काल या मानव की उत्पत्ति से शुरू होकर वर्तमान तक का इतिहास है। इतिहास को अतीत व वर्तमान के बीच एक सेतु कहा गया है जोकि हमें अतीत से जोड़ने का काम करता है। क्योंकि वर्तमान का आविर्भाव अतीत के गर्भ से होता है, अतीत की आधारशिला पर ही वर्तमान टिका है। अतः अतीत और वर्तमान में अन्योन्याश्रित संबंध ही इतिहास है।
गौरतलब है कि अतीत काल से वर्तमान तक कि सभी बीती हुई घटनाओं का तार्किक रूप से क्रमबद्ध वर्णन ही इतिहास कहलाता है। किन्तु इतिहास का लेखन या वर्णन किस आधार पर हो? कैसे इतने प्राचीन इतिहास को लिखा जाए यह एक सबसे गंभीर प्रश्न है? क्योंकि उस समय के इतिहास की घटनाओं का न कोई दृष्टा बचा है और न कोई स्रोता बचा है। अतः इतिहास लेखन के लिए किसी न किसी स्रोत या साक्ष्य की आवश्यकता पड़ती है।
ऐतिहासिक स्रोत क्या हैं ? (What are historical sources ?)
ऐतिहासिक स्रोत (Historical sources) को सामान्यतः हम ऐतिहासिक साक्ष्य (Historical Evidence) भी कहा जाता है।
अगर साक्ष्य शब्द को समझने का प्रयास करें तो हम कह सकते हैं कि ‘किसी घटना का क्रम बद्ध ज्ञान प्रदान करने वाली रेखांकन को साक्ष्य कहते हैं।’ रेनियर के अनुसार किसी घटना संबंधी जांच करता के प्रश्न उत्तर में जो तथ्य सिद्ध हो सके उसे साक्ष्य कहते हैं।
आमतौर पर साक्ष्य शब्दों का इस्तेमाल विविध रूपों में किया जाता है। सामान्यतः समाज में साक्ष्यों के प्रयोग वैज्ञानिक , अधिवक्ता व इतिहासकार (Historians) करते हैं। किन्तु इनके प्रयोग व अर्थ भिन्न भिन्न होते हैं।
ऐतिहासिक स्रोत : Historical sources
इतिहास एक प्रकार से साक्ष्यों पर आधारित ज्ञान है। ऐसे साक्ष्य जिनसे हमें इतिहास के पुनर्निर्माण में सहायता मिलती है उन्हें हम ऐतिहासिक साक्ष्य की संज्ञा प्रदान करते हैं।
बीते हुए युगों की घटनाओं के संबंध में जानकारी देने वाले साधनों (स्रोतों) को ऐतिहासिक स्रोत (Historical Sources) कहा जाता है।
अर्थात जिन जिन स्रोतों से सामग्रियों को संकलित करके उनकी गवेषणा करके एक सटीक इतिहास लेखन का प्रयास किया जाता है उन साक्ष्यों या स्रोतों को ऐतिहासिक स्रोत या ‘इतिहास जानने के साधन’ कहा जाता है।
इतिहास लेखन में ऐतिहासिक स्रोतों की बहुत महत्ता होती है। बिना इतिहास जानने के साधनों के हम सत्यता के अत्यंत निकट इतिहास लेखन नहीं कर सकते। क्योंकि ऐतिहासिक ज्ञान कल्पनापरक हो सकते हैं पर पूर्णत: काल्पनिक नहीं हो सकते। इतिहास में कल्पना का कोई स्थान नहीं होता है बल्कि इतिहास में प्रमाणिकता महत्वपूर्ण होती है।
अतीत में लाखों-लाख घटनाएं घटी हैं किन्तु इतिहास में स्थान उन्ही को मिलता है जिनकी प्रमाणिकता सिध्द होती है। कहा भी जाता है कि इतिहास सिर्फ उन्हीं घटनाओं को कह सकते हैं जिन्हें कम से कम दो समकालीन स्रोतों द्वारा प्रमाणित किया गया हो।
भारतीय इतिहास के स्रोत :
अगर बात करें भारतीय इतिहास के स्रोतों की तो हम जानते हैं कि भारत के इतिहास को मुख्यतः तीन कालखंडों में वर्गीकृत किया गया है―
1. प्राचीन भारत का इतिहास
2. मध्यकालीन भारतीय इतिहास
3. आधुनिक भारत का इतिहास
प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत :
प्राचीन भारतीय इतिहास के साक्ष्यों को मुख्यतः तीन भागों में बांटा जा सकता है। ये निम्नलिखित हैं―
(i) साहित्यिक स्रोत
(ii) पुरातात्विक स्रोत
(iii) विदेशी विवरण
इन्हें विस्तारपूर्वक जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाकर पढ़ें👇
● प्राचीन भारतीय इतिहास के ऐतिहासिक स्रोत (साहित्यिक स्रोत)
● प्राचीन भारतीय इतिहास के ऐतिहासिक स्रोत (विदेशी विवरण)
● प्राचीन भारतीय इतिहास के ऐतिहासिक स्रोत (पुरातात्विक स्रोत)
● प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत (संक्षेप में पूर्ण जानकारी)
धन्यवाद🙏
आकाश प्रजापति
(कृष्णा)
ग्राम व पोस्ट किलहनापुर, कुण्डा प्रतापगढ़ , उ०प्र०
छात्र: प्राचीन इतिहास कला संस्कृति व पुरातत्व विभाग, कलास्नातक तृतीय वर्ष, इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय