महमूद गजनवी एक तुर्क आक्रमणकारी था जिसने भारत पर कुल 17 बार आक्रमण किया। था महमूद गज़नवी के आक्रमण के विषय में हम पिछले लेख में विस्तार से बता चुके हैं आप इस लेख को पढ़ने के पूर्व उसे पढ़ लें क्योंकि यहां पर हम महमूद गजनवी के आक्रमण के प्रभाव (Mahmood gazanavi ke akraman ke prabhav) के बारे में बात करेंगे।
महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के प्रभाव : effects of mahmud ghazni’s invasion in hindi
महमूद गजनवी के आक्रमण के परिणाम विभिन्न स्तरों पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से देखे जा सकते हैं। इन प्रभावों को हम बिन्दुवत् समझ सकते हैं―
प्रत्यक्ष प्रभाव : महमूद गजनवी के आक्रमण का भारत पर प्रभाव
➠ राजनैतिक क्षेत्र में महमूद के आक्रमणों के प्रत्यक्ष परिणाम महत्वपूर्ण नहीं माने जा सकते। महमूद का न तो भारत में साम्राज्य निर्माण का उद्देश्य था, न उसने भारत में कोई स्थायी राज्य बनाने का प्रयास किया। उसका एकमात्र उद्देश्य धन की प्राप्ति थी। अप्रत्यक्ष रूप से आक्रमण ने उत्तर भारत के राजनैतिक जीवन को प्रभावित किया। इन आक्रमणों के पूर्व उत्तरी भारत और तुर्कों द्वारा अधिकृत मध्य एशिया के क्षेत्र के बीच हिन्दुकश पर्वतमाला एक भौगोलिक विभाजन रेखा के रूप में थी परन्तु अब तुर्कों की सत्ता उत्तरी भारत में पंजाब के राज्य तक स्थापित हो गयी।
➠ महमूद के आक्रमण के आर्थिक परिणाम महत्वपूर्ण सिद्ध हुए। महमूद भारत से के काफी मात्रा में धन लूटकर ले गया जिसका उपयोग उसने मध्य एशिया में साम्राज्य निर्माण में किया। महमूद भारत से अनेक कुशल कारीगर अपने साथ ले गया था, जिन्होंने अपनी कलाकृतियों द्वारा महमूद को अपनी राजधानी गज़नी को एक सुन्दर और समृद्ध नगर का रूप दिया, जिसके कारण गज़नी की ख्याति सर्वत्र फैली।
➠ दूसरी ओर भारत के लिए ये आक्रमण आर्थिक क्षति का कारण सिद्ध हुए क्योंकि धन कई पीढ़ियों से मंदिरों में चढ़ावे के लिए और राजमहलों से भेंट और कर के रूप में संचित होता चला आ रहा था। वह महमूद द्वारा भारत से लूटकर ले जाया गया। इसके अतिरिक्त महमूद के आक्रमणों ने लगभग तीस वर्षों तक उत्तरी भारत में अस्थिरता का वातावरण बनाए रखा जिससे इस क्षेत्र में आर्थिक विकास में अवरोध उत्पन्न हुआ।
➠ महमूद के आक्रमणों के सैनिक परिणाम भी महत्वपूर्ण सिद्ध हुए। महमूद को भारत से युद्ध के लिए हाथियों की उपयोगिता का ज्ञान हुआ। वह अपने साथ कुशल महावत भी ले गया। इनका उपयोग मध्य एशिया के युद्धों में सफलतापूर्वक किया।
➠ महमूद के आक्रमणों के परिणाम सांस्कृतिक जीवन में भी देखे जा सकते है। यद्यपि प्रत्यक्ष रूप से इनका कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा, लेकिन अप्रत्यक्ष और दूरगामी प्रभाव अवश्य पड़े। प्रत्यक्ष रूप से महमूद के कार्य नकारात्मक थे। उसने मंदिरों को लूटा, मूर्तियों का विनाश किया, नगरों को नष्ट किया, लूट-पाट हत्या की, परन्तु इन कार्यों से न तो हिन्दू धर्म का विनाश संभव था और न ही भारत में इस्लाम की स्थापना।
निष्कर्ष :
जैसा कि मुहम्मद हबीब ने सही लिखा है कि, महमूद ने भारत में जो कार्य किए वे निश्चित रूप से इस्लाम के उपदेशों के अनुसार नहीं थे और न ही उसने इस्लाम की कोई सेवा की, बल्कि उसने अपने इन कार्यों से इस्लाम धर्म का दुरूपयोग ही किया।
अप्रत्यक्ष प्रभाव : महमूद गजनवी के आक्रमण के प्रभाव
अप्रत्यक्ष रूप से आक्रमण ने इस्लामी और हिन्दू संस्कृति के बीच सम्पर्क में योगदान दिया। महमूद का दरबारी इतिहासकार अलबरूनी, जिसने भारतीय संस्कृति का अध्ययन किया। उसकी रचना ‘तहकीकाते-हिन्द’ हिन्दुस्तान की सच्ची तस्वीरे बयां करती है। इसी के साथ आक्रमणों ने पंजाब तक मध्य एशिया से आने वाले यात्रियों का मार्ग सुगम हो गया और अनेक सूफी सन्तों का भारत में प्रवेश हुआ। इस सांस्कृतिक सम्पर्क ने आगे चलकर एक नई समन्वित सांस्कृतिक परम्परा का विकास संभव बनाया।
इस प्रकार हम देखते हैं कि महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से प्रभाव न तो प्रत्यक्ष थे और महत्वपूर्ण थे किंतु आर्थिक रूप से भारत पर काफी प्रभाव पड़े। आर्थिक रूप से प्रभाव भारत पर दीर्घकालिक थे क्योंकि महमूद गज़नवी के आक्रमण का उद्देश्य ही धन लूटना और मंदिरों को नष्ट करना था।
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धन्यवाद🙏
आकाश प्रजापति
(कृष्णा)
ग्राम व पोस्ट किलहनापुर, कुण्डा प्रतापगढ़ , उ०प्र०
छात्र: प्राचीन इतिहास कला संस्कृति व पुरातत्व विभाग, कलास्नातक तृतीय वर्ष, इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय