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आज के इस आर्टिकल के अंतर्गत हम आपको हड़प्पा सभ्यता के बारे में जानकारी देंगे। ये हड़प्पा सभ्यता (Hadappa sabhyata) के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां आपको न केवल परीक्षोपयोगी होगी बल्कि ये जानकारियां आपको भारत की गौरवशाली सभ्यता को समझने में बहुत ही मददगार साबित होंगी।
हड़प्पा सभ्यता के बारे में हम विस्तारपूर्वक पिछले लेखों में चर्चा कर चुके हैं, जिसे आप नीचे दी गयी links से जाकर पढ़ सकते हैं। आईये हड़प्पा सभ्यता (Harappan civilization in hindi) की कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं-
हड़प्पा सभ्यता की कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां : Hadappa sabhyata
◆ हड़प्पा सभ्यता (Hadappa sabhyata) भारत की सबसे प्राचीन नगरीय सभ्यता थी।
◆ हड़प्पा सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता, सिंधु सभ्यता, सिंधु सरस्वती सभ्यता आदि नामों से जाना जाता है।
◆ सिंधु घाटी सभ्यता भारत, पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान में फैली थी।
◆ सिंधु घाटी सभ्यता का सर्वाधिक विस्तार भारत के पश्चिमोत्तर भाग में था। इसका सबसे उत्तरी पुरास्थल माण्डा (जम्मू-कश्मीर), दक्षिणी पुरास्थल दैमाबाद (महाराष्ट्र), पश्चिमी पुरास्थल सुतकागेंडोर (बलूचिस्तान) तथा सबसे पूर्वी पुरास्थल आलमगीरपुर (मेरठ, उ०प्र०) था।
◆ सिंधु घाटी सभ्यता के अब तक 1500 से अधिक पुरास्थलों की खोज की जा चुकी है।
◆ इस सभ्यता के प्रमुख नगर हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, राखीगढ़ी, कालीबंगा, धौलावीरा, बनावली, लोथल, सुतकागेंडोर, रोपड़, सुरकोटदा, रंगपुर, आमरी, गनेरीवाल तथा चन्हूदड़ो आदि हैं।
◆ रेडियोकार्बन पद्धति के अनुसार हड़प्पा सभ्यता 2500 ई०पू० से 1750 ई०पू० के मध्य विद्यमान थी।
◆ यह एक कांस्य युगीन सभ्यता थी।
◆ यह सिंधु घाटी की सभ्यता विश्व की महानतम सभ्यताओं- मेसोपोटामिया सभ्यता, सुमेरिया सभ्यता आदि के समकालीन थी और इनसे समुन्नत थी।
◆ सिंधु घाटी सभ्यता की खोज सन् 1921 ई० में दयाराम साहनी ने की। 1921 में दयाराम साहनी ने हड़प्पा पुरास्थल का तथा 1922 में राखालदास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो पुरास्थल का उत्खनन कराया।
◆ सिंधु घाटी सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी जिसमें एक नगरीय जीवन के सभी तत्व विद्यमान थे।
◆ सिंधु घाटी सभ्यता के दो प्रमुख नगर हड़प्पा और मोहनजोदड़ो थे। स्टुअर्ट पिग्गट ने हड़प्पा और मोहनजोदड़ो को इस सभ्यता की जुड़वां राजधानी कहा।
◆ सिंधु घाटी सभ्यता के सभी नगर दो भागों (गढ़ी या दुर्ग क्षेत्र व निचला या आवासीय क्षेत्र) में बंटे हुए थे। अपवाद स्वरूप धौलावीरा, लोथल, सुरकोटदा पुरास्थलों को लिया जा सकता है।
◆ सिंधु घाटी सभ्यता के भवन पक्की ईंटों के तथा सड़कें कच्ची ईंटों से निर्मित थीं।
◆ सिंधु घाटी सभ्यता के भवन दुमंजिले होते थे जिसमें सीढियां, शौचालय, स्नानागार, आंगन और रसोईघर अवश्य रहता था।
◆ सिंधु घाटी सभ्यता (Indus valley civilization) की सड़कें के दूसरे को समकोण पर काटती थीं इससे ऐसा लगता था कि सम्पूर्ण नगर एक विशेष पद्धति (ग्रिड प्रणाली) पर बसाया गया था।
◆ इस सभ्यता के घरों के दरवाजे प्रायः मुख्य सड़कों की ओर न खुलकर पतली गलियों की ओर खुलते थे।
◆ सिंधु घाटी सभ्यता के मोहनजोदड़ो पुरास्थल से विशाल स्नानागार प्राप्त हुआ है। यह स्नानागार 54.85 मीटर लंबा और 32.90 मीटर चौड़ा है जोकि क्षेत्रफल की दृष्टि से सिन्धु सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत है।
◆ सिंधु सभ्यता के नगरों में सफाई की बेहतरीन व्यवस्था थी। कूड़ा इकट्ठा करने के लिए मिट्टी के पात्र रखे जाने के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
◆ सम्पूर्ण सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा नगर मोहनजोदड़ो है। जबकि हड़प्पा सभ्यता के भारतीय पुरास्थलों में सबसे बड़ा नगर राखीगढ़ी है।
◆ सिंधु घाटी सभ्यता के प्रशासन के विषय में ज्यादा जानकारी प्राप्त नहीं है किंतु ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि इसका प्रशासन वणिक वर्ग के हाथों में था जोकि हड़प्पा और मोहनजोदड़ो से संचालित होता था।
◆ भारत में वास्तुकला का आरंभ सैंधव वासियों ने किया।
◆ हड़प्पा सभ्यता के हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, चन्हूदड़ों, लोथल तथा कालीबंगा जैसे पुरास्थलों से विशाल अन्नागार के साक्ष्य मिले हैं।
◆ हड़प्पा वासियों के मुख्य व्यवसाय व्यापार था। जोकि देश के अंदर तथा अंतरराष्ट्रीय भी होता था।
◆ हड़प्पा वासी प्रस्तर मूर्ति, धातु मूर्ति तथा मृण्मूर्ति बनाने में दक्ष थे। अतः भारत में मूर्तिकला के आरंभ का श्रेय हड़प्पा वासियों को जाता है।
◆ हड़प्पा सभ्यता से सर्वाधिक मृण्मूर्ति फिर धातु मूर्तियां तथा सबसे कम प्रस्तर मूर्तियां प्राप्त हुई हैं।
◆ इस सभ्यता के प्रमुख आधार कृषि, पशुपालन, उद्योग धंधे तथा व्यापार वाणिज्य था।
◆ विश्व में सबसे पहले कपास को उगाने का श्रेय भी सिन्धुवासियों को जाता है।
◆ हड़प्पा वासी गाय, बैल, भैंस, सुअर, भेड़ आदि पालते थे।
◆ सिंधु वासी हाथी और घोड़े से परिचित तो थे किंतु उन्हें पाले जाने का साक्ष्य अभी नहीं मिल सका है।
◆ स्त्री मृण्मूर्तियों के अधिक मात्रा में मिलने से विद्वान अनुमान लगाते हैं कि इस सभ्यता का समाज मातृसत्तात्मक था।
◆ सिंधु घाटी सभ्यता का धर्म संभवतः हिन्दू धर्म का प्राचीनतम रूप था जिसमें मातृ देवी , पशुपति शिव, पशु पूजा, वृक्ष पूजा, अग्नि व सूर्य पूजा आदि के अस्तित्व विद्यमान थे।
◆ हड़प्पा सभ्यता की लिपि भावचित्रात्मक थी जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।
◆ सिंधु घाटी सभ्यता का पतन किस कारण हुआ यह अभी तक विवादास्पद है। इसके प्रमुख कारणों में बाह्य आक्रमण, महामारी, जलवायु परिवर्तन, बाढ़, भूतात्विक परिवर्तन तथा नदी मार्ग परिवर्तन हो सकते हैं।
इस प्रकार आपने हड़प्पा सभ्यता के विषय में बहुत सी रोचक जानकारियां प्राप्त कीं। सिंधु घाटी सभ्यता के विषय में पूरी जानकारी पाने के लिए नीचे दी गयी सभी पोस्ट्स को पढ़ें। इन सभी पोस्ट्स को पढ़ने के बाद आप हड़प्पा सभ्यता की समस्त जानकारी प्राप्त कर लेंगे और आपसे इस सभ्यता के कोई भी प्रश्न अछूते नहीं रहेंगे।
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