आजकल विज्ञान ने अनेक तकनीके उपलब्ध कराई हैं, जिनसे ज्योतिष एवं खगोल शास्त्र को बहुत सहायता मिली है। अनेक मान्यतायें जिन्हें हम शताब्दियों से विवाद रहित एवं ध्रुव सत्य मानते थे, नवीन यन्त्रों ने असत्य प्रमाणित कर दिये हैं। पिछले पच्चीस वर्षों में ब्रम्हाण्ड (Universe in hindi) के विषय में जितनी जानकारी प्राप्त है, उतनी कई शताब्दियों में नहीं मिली। नई खोजों से मानव की जिज्ञासा और बढ़ती जा रही है परन्तु ब्रम्हाण्ड का विषय उतना ही उलझता जा रहा है। अतः अभी भी बहुत कुछ जानना शेष है।
ब्रम्हाण्ड : (Universe in hindi)
ब्रम्हाण्ड के विषय में जानने से पूर्व तारों तथा इनसे सम्बन्धित कुछ शब्दावलियों के विषय में जानना आवश्यक है।
➢ तारे ( Stars), वे खगोलीय पिण्ड है जो अति गर्म प्रज्जवलित गैसों से निर्मित है।
➢ प्रज्जवलित गैस समूह तथा अग्नि पिण्डों को निहारिकाएं (Nebula) कहते हैं। कई निहारिकाएं इतनी बड़ी होती हैं कि इसमें लाखों सौर मंडल समा जायेंगे।
➢ सृष्टि में आये दिन होने वाले परिवर्तनों में तारकीय विस्फोट भी मुख्य है। पृथ्वी से दिखने वाले इन छोटे-छोटे तारों में अचानक होने वाले विस्फोट को तारकीय प्रलय की संज्ञा दी जाती है। इन विस्फोटों के परिणाम स्वरूप ही नवतारा (Nova) एवं अधिनव तारा (Super Nova) का निर्माण होता है।
➢ जो तारे विस्फोटित होकर धीरे-धीरे अपनी ज्योति बढ़ाते हैं, उन्हें नवतारा कहते है। जिन तारों की ज्योति 10,000 गुना बढ़ती है, उन्हें नोवा या नवतारा तथा जिनकी ज्योति 10,000 गुने से भी अधिक बढ़ती है, उन्हें अधिनव तारा कहा जाता है।
➢ इसी तरह ‘न्यूट्रान तारा’ (Neotron) अन्य तारों की अपेक्षा लघु पिण्ड होता है, जिससे नियमित अन्तराल पर प्रकाश निकलता रहता है।
➢ Proxima Century वह तारा है. जो दूरी के अनुसार पृथ्वी से नजदीक है। यह पृथ्वी से 4.5 लाख प्रकाश वर्ष दूर है।
➢ लुब्धक (Sirius) पृथ्वी से दिखने वाला सर्वाधिक चमकीला तारा है तथा इसे हवाइट डाग (White Dog Star) कहते हैं।
➢ जो तारे अपने जीवन की समाप्ति के नजदीक होते हैं, उन्हें श्वेत वामन (White dwarfs) कहते हैं।
➢ तारों के गुच्छों (clusters) से आकाश गंगा (Galaxy) बनते हैं। इस तरह अनन्त ब्रम्हाण्ड में खरबों (Billions) आकाश गंगा है। आकाश गंगा आकृति में अंडाकार, वृत्ताकार या चक्राकार होती हैं। इसे रात्रि में चन्द्रमा की अनुपस्थिति में विशाल तारों के जमघट के रूप में देखा जा सकता है।
इसी सन्दर्भ में हवाइट होल (white hole) संकल्पना का उल्लेख करना आवश्यक है। यह नक्षत्रीय तत्व (astronomical Phenomenon) है, जो ‘जयन्त नारलिकर’ द्वारा प्रतिपादित है। इनके अनुसार ‘हवाइट होल की दूरस्थ आकाश गंगाओं के प्रकाश एवं रेडियो तरंगो (Radio Waves) का स्रोत है।
स्वच्छ रात्रि में आकाश असंख्य तारों से भरा हुआ दिखाई देता है, जो सामान्य दृष्टि में बिन्दु से बड़े नहीं दिखाई देते लेकिन यह आश्चर्यपूर्ण तथ्य है कि प्रत्येक तारा हमारी पृथ्वी से बड़ा है एवं कुछ तो हमारी पृथ्वी से 10 लाख गुने से भी बड़े है। इसी तरह इन तारों के मध्य की दूरी बहुत अधिक नहीं प्रतीत होती एवं आकाश बहुत बृहद नहीं लगता, लेकिन नक्षत्र वैज्ञानिकों की यह गणना है कि अन्तरिक्ष में लाखों तारों के बावजूद भी ये इस रूप में बिखरे है कि अनन्त ब्रम्हाण्ड का अल्प भाग ही इनसे आच्छादित है। इस अनन्त दूरी को एक विशाष ईकाई से मापते है, जिसे प्रकाश वर्ष (Light year) कहते है।
प्रकाश की गति 300,000 किमी० प्रति सेकेण्ड है एवं इस गति से प्रकाश की किरण एक वर्ष में जितनी दूरी तय करेगी, उसे ही प्रकाश वर्ष कहते हैं। इस तरह प्रकाश की किरण एक वर्ष में 9.500 अरब किमी० दूरी तय करती है। यदि पृथ्वी से रेडियो तरंगों को प्रसारित किया जाय तो चन्द्रमा, सूर्य एवं प्राक्सीमा सेन्चुरी तक पहुंचने में क्रमश: 1.25 सेकेण्ड, 8 मिनट 22 सेकेण्ड एवं 4 वर्ष लगेंगे। इसी तरह इस तरंग को डेल्टा पैदानिस (अपेक्षाकृत दूरस्थ तारा) तक पहुंचने में 20 वर्ष लगेंगे। इस तरह ब्रम्हाण्ड के असीमित विस्तार के बारे में आकलन किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि ये दूरियां इतनी अनन्त है कि सहजता से ये मानचित्रित नहीं की जा सकती। अत्यन्त सूक्ष्म मापक के माध्यम से ही इन्हें दिखाना सम्भव है। यदि यह मान लिया जाय कि सूर्य आकार में एक हाईड्रोजन अणु के बराबर है (जिसका व्यास एक सेण्टीमीटर का 1000 लाखवां भाग है), तो हमारी आकाश गंगा मिल्की वे (Milky Way) का व्यास 69 मीटर होगा एवं सूर्य का व्यास 25 मीटर होगा। इसी तरह एण्ड्रोमिडा स्पीरल (पृथ्वी से सर्वाधिक दूरस्थ आकाश गंगा) का व्यास 1.6 किमी० होगा तथा ज्ञात ब्रम्हाण्ड की भुजा (Edge) लगभग 3200 किमी० होगी।
निष्कर्ष: Facts about universe
इस तरह ब्रम्हाण्ड का विस्तार अनन्त है, जिसमें कई आकाश गंगा (glaxay) है तथा एक आकाश गंगा में कई सौर मंडल है। पुनः सौर मण्डल में कई ग्रह, उपग्रह पुच्छलतारा एवं ध्रुव तारा है। इस अनन्त ब्रम्हाण्ड के विस्तार एवं विभिन्न सरचनात्मक आयामों का पता करना अभी भी चुनौती भरा प्रश्न है।
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धन्यवाद🙏
आकाश प्रजापति
(कृष्णा)
ग्राम व पोस्ट किलहनापुर, कुण्डा प्रतापगढ़ , उ०प्र०
छात्र: कलास्नातक तृतीय वर्ष, इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय