कुतुबुद्दीन ऐबक की अकस्मात मृत्यु के कारण उसके उत्तराधिकारी के चुनाव की समस्या को तुर्की सरदारों ने स्वयं हल किया। कुछ तुर्की सरदारों ने आरामशाह (Aramshah) को लाहौर (1210 ई०) सुल्तान घोषित कर दिया।
हालांकि कुतुबुद्दीन ऐबक से उसका संबंध निश्चित नहीं है, यद्यपि कुछ विद्वान उसे ऐबक का पुत्र मानते हैं।
आरामशाह : Aramshah - 1210 ई०
कुतुबुद्दीन की मृत्यु के पश्चात् उसके सरदारों ने उसके पुत्र (यद्यपि कुछ इतिहासकार इस बारे में सन्देह प्रकट करते हैं) आरामशाह को लाहौर में गद्दी पर बैठा दिया परन्तु दिल्ली के तुर्की-सरदार और नागरिक इससे सहमत नहीं हुए।
आरामशाह एक अक्षम और आरामतलब व्यक्ति था। अनेक तुर्क सरदारों ने उसका विरोध किया। राज्य में अनेक जगह विद्रोह हो गए। कुबाचा ने सिंध में तथा खिलजियों ने बंगाल में विद्रोह कर दिया। आरामशाह स्थिति पर नियंत्रण पाने में असमर्थ था।
आरामशाह एक अयोग्य नवयुवक था जबकि उस समय की कठिन परिस्थितियों में तुर्की-राज्य को एक योग्य तथा अनुभवी शासक की आवश्यकता थी।
अतः, सिपहसालार अमीर-ए-दाद और कुछ तुर्की अमीरों ने तथा दिल्ली के तुर्क सरकारों ने बदायूँ के गवर्नर इल्तुतमिश, जो ऐबक का विश्वासपात्र गुलाम एवं उसका दामाद भी था, को दिल्ली आने का निमंत्रण भेजा । इल्तुतमिश शीघ्र ही दिल्ली पहुँचकर सुल्तान का पद ग्रहण कर लिया।
आरामशाह भी उसके दिल्ली-आगमन की खबर पाकर दिल्ली तक आ पहुँचा। आरामशाह ने उस पर आक्रमण किया परंतु इल्तुतमिश ने उसे पराजित कर मार डाला और स्वयं सुलतान बन बैठा।
इस प्रकार आरामशाह का शासन केवल आठ माह में समाप्त हो गया और इल्तुतमिश दिल्ली का सुल्तान बन गया।