Meaning and definition of Education in hindi | शिक्षा का अर्थ | शिक्षा की परिभाषा | 15 best definitions of education

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Meaning and definition of Education in hindi : किसी राष्ट्र, समाज, व्यक्ति के उन्नयन का मूलाधार ‘शिक्षा’ (Education) मानी जाती है। यही कारण है कि ज्ञानार्जन की एक क्रिया के रूप में अत्यन्त प्राचीन काल से अविरल ‘शिक्षा’ गतिशील बनी हुई है। शिक्षा से समाज और संस्कृति को स्वरूप की प्राप्ति होती है, तो शिक्षा का आश्रय लेकर राष्ट्र उत्पादनशील और आत्म-निर्भरता की ओर अग्रसर होता है। आर्थिक विकास में मजबूती आने से प्रजातांत्रिक मूल्यों की रक्षा सम्भव होती है।

जहाँ तक व्यक्ति अथवा मानव जाति के उन्नयन की बात है तो इस परिप्रेक्ष्य में ‘शिक्षा’ को मानव जीवन का ‘शाश्वत मूल्य’ कहा जाता है। ‘शाश्वत मूल्य से आशय ऐसे गुणों, आदर्शों, कौशलों, विधाओं तकनीकों से लगाया जा सकता है जिसको ग्रहण करके मनुष्य अपनी जीवन को नियंत्रित, निर्देशित परिमार्जित करके आजीवन विकास पथ का वरण करके आन्दानुभूति करने में समर्थ होता है।

Meaning and definition of Education in hindi

शिक्षा का अर्थ (Meaning of Education)

‘शिक्षा’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के शिक्ष धातु में ‘अ’ प्रत्यय लगाने से हुई है। संस्कृत में शिक्ष शब्द का अर्थ सीखना और सीखाना है। अतएव सीखने-सीखने की क्रिया ही शिक्षा है का बोध शाब्दिक अर्थ कराता है।

आंग्ल भाषा में शिक्षा के लिए ‘एजुकेशन (Education) शब्द का प्रयोग किया जाता है। जिसकी उत्पत्ति लैटिन भाषा के ‘एजुकेटम’ (Educatam) शब्द से हुआ है। एडूकेटम शब्द की उत्पत्ति भी लैटिन भाषा के ‘इ’ (E) तथा ‘डुको’ (Duko) शब्दों के संयोग से हुई। इन शब्दों ‘इ’ (E) का अर्थ ‘अंदर से’ तथा ‘डुको’ शब्द का अर्थ-आगे बढ़ाना या अग्रसर करना है। अतएव अंदर विराजमान शक्तियों को बाहर की ओर या आगे बढ़ाना ही ‘एजुकेशन’ शब्द का शाब्दिक आशय है।

शिक्षा शब्द के लिए अंग्रेजी के दो अन्य शब्दों का भी प्रयोग किया जाता है-एजूकियर (Educere ) तथा एजूकेयर (Educare) इनका अर्थ भी क्रमशः निकालना (to lead out) तथा उठाना (to raise) है। चूँकि ये दोनों शब्द क्रिया सूचक हैं। इनमें एजूकेशन (Education) संज्ञा का सूचक है इसीलिए इन दोनों शब्दों में ‘एजुकेशन’ ही ग्रहणीय है। यह एक प्रक्रिया का बोध कराता है।

शिक्षा के लिए एक अन्य शब्द ‘विद्या’ का भी प्रयोग किया जाता है। ‘विद्या’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के विद् धातु से हुआ है। इसका अर्थ जानना या ज्ञान की प्राप्ति करना। इस प्रकार शिक्षा का अर्थ है ‘ज्ञान प्राप्ति करना’।

अतएव शिक्षा, एजूकेशन तथा विद्या के व्युत्पत्तिक अर्थ पर विचार करने के बाद स्पष्ट होता है कि सभी सीखने-सीखने, जानने, ज्ञान की प्राप्ति पर बल देते हैं और शिक्षा को एक प्रक्रिया (विशेष प्रकार की किया) के रूप में निरूपित करते हैं। शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति सीखकर अपने अन्दर में छिपी शक्ति को बाहर प्रकटन करने में समर्थ होता है।

शिक्षा संबंधी विद्वानों के कथन : Meaning and definition of Education in hindi

जे. एस. मैकेन्जी (J. S. Mackenzi) “व्यापाक अर्थ में शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है, जो आजीवन चलती रहती है और जीवन के प्रायः प्रत्येक अनुभव से उसके भण्डार में वृद्धि होती है। शिक्षा को जीवन का मुख्य साध्य भी कहा जा सकता है।”

स्वामी विवेकानन्द ने लिखा है कि- “यदि कोई मनुष्य केवल कुछ परीक्षाएँ पास कर सकता है, और अच्छे परिणाम दे सकता है तो आप उसे शिक्षित समझते हैं। क्या वह शिक्षा, शिक्षा कहलाने के योग्य है? जो जन-समूह को जीवन के संघर्ष के लिए अपने आपको तैयार करने में सहायता नहीं देती है और उनमें शेर का-सा साहस उत्पन्न नहीं करती है।”

लॉज (Lodge) का मत है-“बच्चा अपने माता-पिता को और छात्र अपने शिक्षकों को शिक्षित करता है। प्रत्येक चात जो हम सोचते या करते हैं, हमें किसी प्रकार भी दूसरे व्यक्तियों के द्वारा कही, सोची या की गयी बात से कम शिक्षित नहीं करती है। इस व्यापाक अर्थ में जीवन शिक्षा है, और शिक्षा जीवन है।’

शिक्षा की परिभाषाएँ (Definitions of Education)

  1. शंकराचार्य – “सा विद्या या विमुक्तये” (शिक्षा वह है जो मुक्ति दिलाती है),

Education is emancipation.

  1. स्वामी दयानन्द -“विद्या विलास मनसो धृतशील शिक्षा” अर्थात् विद्या में विलास करने वाले मन का निर्माण करना ही शिक्षा है।”
  2. स्वामी विवेकानन्द– “मनुष्य में अंतर्निहित पूर्णता को अभिव्यक्त करना ही शिक्षा है।” “Education is manifestaions of Perfacation already present in man.”

4. महात्मा गाँधी- “शिक्षा का अभिप्राय बालक और मनुष्य के शरीर, मन तथा आत्मा के बहुमुखी एवं सर्वोत्तम विकास से है।”

“By education I mean an all round drawing out of the best in child and man.”

  1. योगवाशिष्ठ- “अत्रज्ञानमनुष्ठानं न त्वन्यदुपयुज्यते” (3/6/2) अर्थात् मुक्ति प्राप्त करने के लिए ज्ञान ही एक मात्र उपाय है। दूसरा और कोई नहीं है।”
  1. जान डीवी-“जिस प्रकार शारीरिक विकास के लिए भोजन आवश्यक है, उसी प्रकार सामाजिक विकास के लिए शिक्षा।”
    “As food is important for Physical growth. Education is for Social growth.”
  2. बटलर – “शिक्षा प्रजाति की आध्यात्मिक उपलब्धियों के साथ व्यक्ति का क्रमिक अनुकूलन है”
    “Education is the graduat adjushment of the individual to the spritual porsession of the race.
  3. टैगोर – “सर्वोत्तम शिक्षा वह है जो हमें सूचनाए ही नहीं देती, अपितु हमोर जीवन और सम्पूर्ण सृष्टि में समरसता पैदा करती है।”

“The higher Education in those which does not eral give no information but makes our lives in harmony with all ex estence.”

  1. वॉसिंग – “शिक्षा का कार्य मनुष्य को उसके परिवेश से इस उद्देश्य से तालमेल कराना है जिससे कि उसे और समाज दोनों को अत्यधिक व दीर्घकालिक संतुष्टि की प्राप्ति हो सके।”

“The function of Education is conceived to be the adjustment of the man to his environment to the end that most avduovies satisfaction may accrue to the individual and to the society.”

  1. पेस्तालॉजी-“व्यक्ति के जन्म से प्राप्त शक्तियों का स्वाभाविक समरस एवं प्रगतिशील विकास ही शिक्षा है।”

“Education is a natural harmonious and progressive development of man’s innate powers.”

11. अरस्तू – “स्वस्थ्य शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निर्माण ही शिक्षा है।”

“Education is the creation of a sound ming in a sound body.”

  1. हरबर्ट स्पेन्सर-“शिक्षा का अर्थ अंतर्शक्तियों का बाह्य जीवन से समन्वय स्थापित करना है।”

“Education means establishment of cordination between the inherent powers and the outer life,”

  1. काण्ट – “शिक्षा व्यक्ति की उस पूर्णता का विकास है, जिसकी उसमें क्षमता है।”

“Education is development of individuality of all the profection of which he is capable.”

  1. हार्न – “शिक्षा शारीरिक और मानसिक रूप से विकसित सचेत मानव को अपने मानसिक, संवेगात्मक और संकल्पित वातावरण से उत्तम सामंजस्य स्थापित करना है।”

“Education is the superior adjust ment of a phisically developed concious human being to his intellectual educational and vocational environment.”

  1. प्लेटो– “शिक्षा का कार्य मनुष्य के शरीर और आत्मा को वह पूर्णता प्रदान करना है जिसके कि वह योग्य है।”

“Education consists in giving to the body and soul all the perfection of which they are suceptible.”

उपर्युक्त परिभाषाओं के अनुशीलन से यह स्पष्ट होता है कि शिक्षा एक प्रक्रिया है, जो विशिष्ट उपलब्धि की प्राप्ति में सहायक होती है। शिक्षा व्यक्ति का एकांगी विकास नहीं करती बल्कि यह बहुमुखी विकास में सहायता करती है। यह विकास शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक व्यवसायिक सभी से अर्न्तसम्बंन्धित होता है। शिक्षा आलम्बन लेकर ही व्यक्ति उच्चतम स्थिति की प्राप्ति करने समर्थ होता है। अतः कहा जा सकता है कि शिक्षा व्यक्ति के आंतरिक विकास को समृद्ध बनाकर वाह्य की बहुआयामी पृष्ठभूमि विनिर्मित करती है।

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